दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ाः- छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले दंतेवाड़ा के धुर नक्सलगढ़ नहाड़ी में पहली बार शनिवार को कलेक्टर दीपक सोनी पहुंचे। बताया जा रहा है कि आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि कलेक्टर यहां पहुंचें।
आपको बता दें कि नहाड़ी सुदूर जंगली इलाका में बसा है। यहां आने जाने के लिए सड़के तक नहीं है। जिसके कारण वो गांव तक पहुंचने के लिए कुछ दूर बाइक से आए। इसके बाद उन्हें ग्रामीणों से मिलने के लिए पैदल ही आना पड़ा। कलेक्टर दीपक वहां पहुंचकर ग्रामीणों के बीच खाट पर बैठे और गांव के विकास की नीति बनाई और कई सौगाते भी दिए। बरसते पानी में कलेक्टर को गांव में पहुंचने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
क्यों खौफ खाते हैं अधिकारी
आपको बता दें कि कुआकोंडा ब्लॉक के इस गांव को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है। सबसे खतरानक नक्सली विनोद इसी गांव का है। साल 2002 के बाद से यहां नक्सलियों का खौफ है। यहां तक इस गांव में नक्सलियों ने स्कूल, आश्रम भवन तक को पूरा उजाड़ दिए थे। बताया जा रहा है कि अक्सर इस गांव में नक्सलियों का मीटिंग होता है।
ग्रामीणों ने किया था कैंप का विरोध
बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले यहां पुलिस बलों का कैंप खुला था। जिसके विरोध में यहां के ग्रामिणों ने सकड़ों को काटकर 50 से ज्यादा गड्ढे कर दिए थे। कई बार यहां मुठभेढ़ भी हो चुकी है। कैंप का विरोध करने वाले ग्रामीणों का ये मानना था सुकुल से यहां जी रहे है। कैंप खुल जाने से नक्सली उन्हे निशाना बनाते थे। हलांकि प्रशासन के समझाने और जवानों से सुरक्षा का भरोसा मिलने के बाद ग्रामीण शांत हो गए थे।
मिली ये सौगात
यहां कलेक्टर दीपक पहुंचकर ग्रामीणों का दिल जीत लिया और गांव में राशन दुकान जाने की बात कही ताकी उन्हें दूर जाने की जरूरत न पड़े। इसके लिए गांव के युवा सुनील हेमला को रोजगार सहायक के पद की जिम्मेदारी सौपी गई है।
ग्रामीणों के साथ चर्चा के दौरान कलेटक्टर ने अरनपुर के आसपास के 6 पंचायतों में 9 करोड़ की कार्यों की स्वीकृति की जानकारी दी। साथ ही कहा कि वो इस इलाके के विकास में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ेंगे। जो भी संभव होगा ग्रामीणों के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए किया जाएगा।