प्रयागराज: High Court on Adult Post इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि सोशल मीडिया पर किसी ‘अश्लील’ पोस्ट को लाइक करना कोई अपराध नहीं है। हालांकि, ऐसी सामग्री को साझा करने या दोबारा पोस्ट करने पर दंडात्मक परिणाम भुगतने होंगे। अदालत ने बुधवार को अपनी टिप्पणियों में कहा कि इस तरह के पोस्ट को साझा करना सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा- 67 के तहत ‘प्रसारण’ माना जाएगा और दंडनीय होगा। न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने आगरा के मोहम्मद इमरान काजी के खिलाफ आईटी अधिनियम की धारा- 67 और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।
High Court on Adult Post गैरकानूनी रूप से जमा होने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की पोस्ट को लाइक करने के कारण काजी पर मुकदमा चल रहा था। जज ने कहा, ‘मुझे ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली जो आवेदक को किसी आपत्तिजनक पोस्ट से जोड़ सके, क्योंकि आवेदक के फेसबुक और व्हाट्सऐप पर कोई आपत्तिजनक पोस्ट उपलब्ध नहीं है।
High Court on Adult Post केस ट्रांसफर में सुविधा का संतुलन देखा जाना चाहिए
High Court on Adult Post इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि कि पति और पत्नी के बीच विवाद की स्थिति में पत्नी की सुविधा का संतुलन देखा जाना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने पत्नी द्वारा हिंदू विवाह की धारा 10 के तहत मामले को स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। गोरखपुर निवासी पत्नी ने याचिका में पति की ओर से प्रस्तुत मुकदमा वाराणसी से गोरखपुर जिला न्यायालय स्थानांतरित करने की मांग की थी।
High Court on Adult Post याची की ओर से गोरखपुर में पति के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुकदमा किया गया है। याची की अधिवक्ता का कहना था कि याची अपने वृद्ध माता-पिता के साथ गोरखपुर में रहती है। गोरखपुर से वाराणसी के बीच की दूरी लगभग 200 किमी है और याची के पास मुकदमे के खर्च व यात्रा में होने वाले अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए आय का कोई स्रोत नहीं है।
+ There are no comments
Add yours