जानकरी के मुताबिक लंका थाना क्षेत्र के नरिया इलाके के रहने वाले संतोष की पत्नी की तबियत खराब थी। सन्तोष की पत्नी का इलाज पहले निजी अस्पताल में चल रहा था,जब महिला की तबियत बिगड़ी तो उन्हें बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मौत के बाद उसके शव को मोर्चरी में रख दिया गया।
5 दिनों तक भटकता रहा पति
संतोष ने बताया कि उसे अस्पताल से उसकी पत्नी का शव इसलिए नहीं मिला कि उसकी कोरोना रिपोर्ट नहीं आई थी। कोरोना रिपोर्ट के इंतजार में 9 अगस्त से 13 अगस्त तक महिला का शव अस्पताल के मोर्चरी में ही पड़ा रहा। इस दौरान संतोष अपने पत्नी के शव के लिए पांच दिनों तक थाने और बीएचयू के चक्कर काटते रहे।
गुरुवार देर शाम मिला शव
पत्नी के शव के लिए भटकते पति को पांच दिनों बाद बीएचयू अस्पताल ने शव सौंपा। गुरुवार देर शाम अस्पताल से शव मिलने के बाद संतोष ने अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार किया।
ये है बीएचयू की दलील
बीएचयू के जनसंपर्क अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि मामला मेडिकोलीगल सेे जुड़ा था इसलिए प्रोटोकॉल
के मुताबिक सारी प्रक्रियाओं के बाद परिजनों को शव सौपा गया है। बता दें कि किसी भी व्यक्ति का सरकारी स्तर पर किया गया चिकित्सीय परीक्षण मेडिकोलीगल कहलाता है। इस रिपोर्ट का प्रयोग कानूनी प्रक्रिया में किया जाता है।
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