BJP को उस वक्त योवाओं की याद नहीं आई जब रिटायर्ड कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति की

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रायपुर: आशीष कर्मा पर भाजपा के बयान पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि आउट सोर्सिंग के माध्यम से राज्य के हजारों नौजवानों को सरकारी नौकरी से दूर रखने का षड़यंत्र करने वाली भाजपा आज एक शहीद के बेटे की नियुक्ति पर निम्नस्तरीय बयानबाजी कर रही है। एक डिप्टी कलेक्टर के पद पर दी गयी अनुकंपा नियुक्ति को युवाओं का हक मारने की दुहाई देने वाली भाजपा के राज में डिप्टी कलेक्टर डीएसपी के दर्जनों पदों पर संविदा में रिटायर्ड अधिकारियों की नियुक्तियां की गयी थी।

रमन सिंह सरकार के अवसान रिटायर्ड मुख्य सचिव शिवराज सिंह को विभिन्न पदों में बैठाकर सरकार खजाने से करोड़ों रू. वेतन देने वाली भाजपा पहले युवाओं के प्रति अपनी जवाबदेही को तो निभाये। यहीं नहीं भाजपा सरकार ने तो प्रमुख सचिव के पद पर भी संविदा के अधिकारी को वर्षो तक बैठा कर रखा था तब युवाओं का हक नहीं मारा गया था? शहीद महेन्द्र कर्मा ने तो राज्य के हित में और आदिवासियों के हक में नक्सलवाद के खिलाफ आजीवन लड़ाई लड़ी, यहीं नहीं दलगत भाजपा से ऊपर उठ कर शहीद महेन्द्र कर्मा ने भाजपा सरकार के साथ मिलकर नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम आंदोलन चलाया था, जिसका खामियाजा उन्हें न केवल राजनैतिक रूप से भुगतना पड़ा था। वे नक्सलियों के हिट लिस्ट में आ गये थे और जीरम घाटी में 25 मई 2013 को माओवादी हमले में उनकी शहादत ठीक उसी जगह हुयी जहां भाजपा सरकार ने सुरक्षा नहीं दी थी।

ऐसे शहीद महेन्द्र कर्मा के पुत्र की नियुक्ति पर सवाल खड़ा कर भाजपा अपनी ओछी मानसिकता का परिचय दे रही है। शहीद महेन्द्र कर्मा के पुत्र आशीष कर्मा की डिप्टी कलेक्टर के पद पर की गयी अनुकंपा नियुक्ति को युवाओं का हक मारने की संज्ञा देने वाले बतायें कि भाजपा सरकार में रमन सिंह के रिश्तेदारों की गयी नियुक्तियों पर उनकी जबान क्यों बंद थी? रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता को डीकेएस अस्पताल का सर्वेसर्वा बना दिया गया था। रमन सिंह के भतीजे साहिल सिंह को 2010 में वाणिज्य कर विभाग में सहायक प्रोग्रामर के पद पर नियुक्ति की गयी थी, जिन्हें बाद में प्रमोट कर प्रोग्रामर बना दिया गया। पद्म श्री ए.टी.दाबके के स्थान पर रमन सिंह के समधी डॉ. जीबी गुप्ता को आयुष विश्वविद्यालय का कुलपति बना दिया गया था।

रमन सिंह के साले संजय सिंह को पर्यटन मंडल का अधिकारी बनाने पर यह लोग क्यों चुप थे? दर्जनों डिप्टी कलेक्टरों, डीएसपी के पदों पर संविदा में भर्ती करते समय भाजपा को युवाओं की चिंता क्यों नहीं हुई? एक शहीद के बेटे की नियुक्ति पर घड़ियाली आंसू बहाने वाली भाजपा के राज में एक वर्ष भी राज्य लोकसेवा आयोग की नियमित परीक्षा समय पर नहीं हो पाई और न ही परिणाम समय पर जारी हुये।

भाजपा की तत्कालीन सरकार के प्रशासनिक कुप्रबंधन के कारण राज्य प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखने वाले राज्य के हजारों युवा आयु सीमा को पार गये। कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने इन्हीं युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर पीएसी की परीक्षा में स्थानीय युवाओं की आयु सीमा में 5 वर्ष छूट देने का निर्णय लिया है। राज्य के युवा नहीं भूले है कैसे भाजपा के राज में भ्रष्टाचार के कारण व्यवसायिक परीक्षा मंडल की परीक्षायें रद्द होती थी। छत्तीसगढ़ देश का अकेला राज्य है जहां एक वर्ष में पीएमटी की तीन बार परीक्षायें लेनी पड़ी गयी .

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