Chhattisgarh Assembly Elections 2023: रायगढ़ (Raigarh) जिले का घरघोड़ा और पुसौर भी 1977 सें पहले विधानसभा सीट हुआ करती थी. इस दौर में घरघोड़ा में जहां चार बार चुनाव हुए. वहीं पुसौर में तीन बार चुनाव हुए. 1957 से लेकर 1972 तक घरघोड़ा में हुए चुनाव में यहां के मतदाताओं ने किसी भी विधायक को दोबारा मौका नहीं दिया. यानी हर विधानसभा चुनाव में यहां विधायक बदल गए. वहीं दूसरी ओर पुसौर विधानसभा में एक ही पार्टी और एक ही परिवार का कब्जा रहा. वहीं 1977 में दोनों ही विधानसभा का विलोपन हो गया.
Chhattisgarh Assembly Elections 2023:
दिलचस्प बात यह है कि घरघोड़ा में आजादी के बाद जब दूसरी बार 1957 में चुनाव हुआ तो यहां कांग्रेस से दो उम्मीदवार थे. इसमें राजा ललित कुमार और गौरी शंकर शास्त्री शामिल हैं. इन्हीं दोनों के बीच रोमांचक मुकाबला हुआ और राजा ललित कुमार ने कांग्रेस के ही अपने निकटतम प्रतिद्वंदी गौरी शंकर शास्त्री को 5 हजार 206 वोट से परास्त कर घरघोड़ा विधानसभा के विधायक बनें. 1962 में यहां जब चुनाव हुए तो कांग्रेस ने राजा ललित को टिकट न देकर सुरेंद्र कुमार सिंह को टिकट दिया. पीएसपी की ओर से बहादुर सिंह को मैदान में उतारा गया.
1972 में घरघोड़ा में आखिरी चुनाव
Chhattisgarh Assembly Elections 2023: इस चुनाव में बहादुर सिंह ने सुरेंद्र सिंह को 866 वोटों से हराया. हालांकि यहां आरआरपी से ललित कुमार चुनाव लड़े और 4 हजार 199 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे. इसके बाद यहां 1967 में चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने दोबारा सुरेंद्र कुमार सिंह को मैदान में उतारा, लेकिन वे तीसरे नंबर पर रहे. जनसंघ के भानुप्रताप सिंह ने पीएसपी के राम प्रसाद को 1403 वोटों के अंतर से परास्त कर इस सीट पर काबिज हुए. फिर जब 1972 में यहां चौथी और आखिरी बार चुनाव हुए तो कांग्रेस ने एक बार फिर से सुरेंद्र सिंह को मौका दिया और उन्होंने 16 हजार 992 वोट हासिल किए.
1977 में घरघोड़ा और पुसौर दोनों का विलोपन
Chhattisgarh Assembly Elections 2023: वहीं बीजेएस के रामप्रसाद को 8 हजार 808 वोट मिले. सुरेंद्र सिंह ने 8 हजार 184 वोटों के अंतर से बीजेएस के रामप्रसाद को इस चुनाव परास्त कर दिया. इसके बाद 1977 में इस सीट का विलोपन हो गया. ऐसे ही पुसौर विधानसभा में 1962, 1967 और 1972 तीन बार चुनाव हुए. दो बार कांग्रेस के नरेश चंद्र सिंह जहां इस सीट से विधायक बनें, वहीं एक बार कांग्रेस से कमला कुमारी इस सीट से विधायक रहीं. 1977 में घरघोड़ा और पुसौर दोनों ही विधानसभा का विलोपन हो गया. इसके बाद घरघोड़ा विधानसभा जहां धरमजयगढ़ में शामिल हो गया. वहीं पुसौर रायगढ़ विधानसभा में समाहित हो गया. हालांकि 2008 में हुए परिसीमन में पुसौर का कुछ एरिया खरसिया विधानसभा में समाहित हो गया है.