रायपुरChhattisgarh Hareli Tihar 2023 : छत्तीसगढ़ में सभी तीज-त्यौहार बड़े धूम-धाम से मनाए जाते हैं। इसमें हरेली पर्व का विशेष वहत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि हरेली से ही प्रदेश में सभी तीज-त्यौहार की शुरुआत होती है। गांव के साथ-साथ शहरों में भी इस त्यौहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन किसान किसानी में उपयोग होने वाले कृषि औजारों की पूजा करते हैं। वहीं बच्चे गेड़ी चढ़ते हैं। इस दिन गांव में विराजे ठाकुर देवता की भी पूजा होती है। लगभग सभी गांव-गुड़ी में ठाकुरदेव विराजमान होते हैं। और लोग खासकर हरेली के दिन इनकी पूजा करते हैं। तो आज हम इन ठाकुरदेव की मान्यता के बारे में आपको जानकारी देते हैं।
Chhattisgarh Hareli Tihar 2023 जैसे किसी परिवार को चलाने की जिम्मेदारी पिता पर होती है, घर में छोटे-बड़े कार्यक्रम पिता को ही पूछकर किया जाता है ठीक उसी प्रकार गांव के ही ठाकुर देवता होते हैं। ठाकुर देवता गांव के सभी देवताओं में से बड़े माने जाते हैं इस वजह से गांव में सबसे पहले ठाकुर देवता की ही पूजा की जाती है। पूजा के पहले पानी भी नहीं भरा जाता। भगवान ठाकुरदेव की पूजा होने के बाद ही दूसरे कार्यक्रम किए जाते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि ठाकुर देव की पूजा करने के लिए घर से केवल पुरूष ही जा सकते हैं महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं होती है। वहीं जिस घर में औरत माहवारी के समय में रहती है तो उस घर के पुरूष भी ना ही पूजा करने के लिए जाते हैं न ही भगवान के प्रसाद को ग्रहण करते हैं।
बाहरी प्रकोप को रोकते हैं ठाकुर देवता
Chhattisgarh Hareli Tihar 2023 ऐसी मान्यता है कि गांव में जो बाहरी प्रकोप आता है, उसे ठाकुर देवता अपने प्रभाव से रोक देते हैं। इसके साथ ही गांव में किसी प्रकार की बाधा आती है तो ठाकुर देवता इसका अहसास करा देते हैं।
हरेली के दिन गांव बनाया जाता है
Chhattisgarh Hareli Tihar 2023 हरेली के दिन ठाकुरदेव की जात्रा निकलती है और इसे गांव बनाना भी कहते हैं, क्योंकि इसके बाद गांव में घर-घर की देवी देवता की जात्रा या बोड़ मनाया जाता हैं। घर के मुखिया एवं बैगा अपने- अपने घर में अपने देवी-देवता की पूजा अर्चना करते हैं।
कैसे होती है ठाकुरदेव की पूजा
Chhattisgarh Hareli Tihar 2023 ठाकुरदेवता की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री मे नारियल, धूपबत्ती, दिया, नींबू, चावल, तेल, धान, मुर्गी या मुर्गा, बकरा, दूध, महुआ दारू, आदि चीजें रखी जाती है। ठाकुरदेव की पूजा करने के एक दिन पहले उस स्थान पर जाकर गांव के बैगा उपवास रहते हैं। पूजा वाले दिन उस स्थान को साफ-सफाई कर गोबर से लिपाई कर स्वच्छ कर लिया जाता है। इसके बाद भगवान ठाकुरदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। लोग धूप-दीप अगरबत्ती जलाते हैं।
इस दिन घर के दरवाजे पर खोंची जाती है नीम की पत्ती
Chhattisgarh Hareli Tihar 2023 किसान भाई इस दिन पशुधन आदि को नहला-धुला कर पूजा करते हैं। गेहूं आटे को गूंथ कर गोल-गोल बनाकर अरंडी या खम्हार पेड़ के पत्ते में लपेटकर गोधन को औषधि खिलाते हैं। ताकि गोधन को विभिन्न रोगों से बचाया जा सके। गांव में पौनी-पसारी जैसे राऊत व बैगा हर घर के दरवाजे पर नीम की डाली खोंचते हैं। गांव में लोहार अनिष्ट की आशंका को दूर करने के लिए चौखट में कील लगाते हैं। यह परम्परा आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यमान है।
Chhattisgarh Hareli Tihar 2023 हरेली के दिन चढ़ी जाती है गेड़ी़
Chhattisgarh Hareli Tihar 2023 हरेली त्यौहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। गांव में लगभग सभी के घर गेड़ी बनाया जाता है और बच्चे और युवा गेड़ी चढ़ते है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि गेड़ी बांस से बनाई जाती है। दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उन्हें दो भागों में बांटा जाता है। उसे नारियल रस्सी से बांध़कर दो पउआ बनाया जाता है। जिसके बाद गेड़ी चढ़ते हैं। गांव में अक्सर गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।
छत्तीसगढ़िया व्यंजन का स्वाद लाजवाब
Chhattisgarh Hareli Tihar 2023 हरेली के उत्सव के दिन घर की महिलाएं अपने रसोई में कई प्रकार के छत्तीसगढ़ी पकवान बनाती है। किसान अपने खेती-किसानी के उपयोग में आने वाले औजार नांगर, कोपर, दतारी, टंगिया, बसुला, कुदारी, सब्बल, गैती आदि की पूजा कर छत्तीसगढ़ी व्यंजन गुलगुल भजिया व गुड़हा चीला का भोग लगाते हैं।