*राजनांदगांव की पिच पर गुगली बॉल डालकर भूपेश ने रमन को घेरा*
असल में मैदान में भूपेश खुद..गिरीश की जीत मतलब राजनांदगांव का सीधा सीएम हाऊस से अटैचमेंट
रायपुर ** टिकट वितरण को लेकर चल रही अटकलबाजियों के दौर के बीच किसी ने सोचा भी नहीं था कि भूपेश बघेल राजनीति की पिच पर ऐसी गुगली बॉल डाल सकते हैं। गुगली ऐसी है कि डॉ रमन सिंह जैसे सुलझे हुए नेता फंसकर रह गए हैं। रमन समझ रहे थे कि उनकी बादशाहत को टक्कर देने की स्थिति में कांग्रेस का कोई भी कद्दावर नेता राजनांदगांव में नहीं है। रमन निश्चिंत थे। लेकिन, नवरात्र के पहले दिन ही सुबह-सुबह भूपेश की बॉल ने ऐसी गुगली फेंकी जिसने रमन समर्थकों के होश उड़ा दिये हैं।
नतीजा यह है की रमन सिंह अब नए सिरे से चुनावी रणनीति बनाने पर मजबूर हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषक अभी से यह कहने लगे हैं कि रमन सिंह के लिए गिरीश देवांगन बहुत बड़ी चुनौती साबित होंगे।
राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि गिरीश देवांगन चुनाव मैदान में जरूर होंगे, लेकिन असल लड़ाई तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ही लड़ेंगे। चुनावी रण में रथ पर गिरीश जरूर सवार होंगे। लेकिन भूपेश बघेल एकदम अलग भूमिका में होंगे। वे अपने मित्र गिरीश के सारथी भी बनेंगे और तरकश से तीर भी छोड़ेंगे। युद्ध में जीत का लक्ष्य लेकर भूपेश बघेल पूरी ताकत से रमन का चक्रव्यूह भेदेंगे, यह तय माना जा रहा है।
राजनांदगांव की जनता गिरीश को प्रत्याशी बनाए जाने से खुश है। आम जनता को पता है कि गिरीश की जीत का मतलब राजनांदगांव का सीधा कनेक्शन सीएम हाउस से हो जाएगा। जाहिर है, इसका फायदा राजनांदगांव की जनता को ही मिलेगा।
कांग्रेसी राजनीति में गिरीश देवांगन को इलेक्शन मैनेजमेंट का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। गिरीश देवांगन प्रदेश कांग्रेस के उन अग्रणी नेतृत्वकर्ताओं में से एक हैं, जिन्होंने प्रदेश में भाजपा का राज खत्म किया।
जब भूपेश बघेल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब प्रदेश कांग्रेस महामंत्री के रूप में गिरीश देवांगन ही संगठन का कामकाज संभाले रहे। हर विधानसभा क्षेत्र के एक-एक कार्यकर्ता की नब्ज टटोल चुके गिरीश को पता है कि चुनावी रण में कब कौन सा हथियार चलाना है ? कौन सी गोटी कब और कहां बैठाना है। रणनीति बनाकर विरोधी का सफाया करने में माहिर गिरीश अब तक प्रदेश स्तर पर पार्टी का मोर्चा संभाले रहे। अब उन्हें खुद के लिए चुनावी रणभेदी भी बजाना है और रणनीति बनाकर जीत का लक्ष्य भी हासिल करना है।
इस कसौटी पर गिरीश कितने खरे उतरेंगे? 7 नवंबर को होने वाले चुनाव और 3 दिसंबर को आने वाले चुनाव नतीजों से इस सवाल का जवाब मिल पाएगा।
देखना ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को उनके गृहनगर में पराजित करने के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने तरकश से कैसे-कैसे तीर निकालेंगे ?
*कका की गुगली से रमन अपना विकेट बचा पाएंगे या क्लीन बोल्ड हो जाएंगे ?*
गिरीश के चुनाव मैदान में उतरने के बाद यह सवाल राजनांदगांव की राजनीतिक फिजाओं में पूछा जाने लगा है।