इस विभाग के संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश, हर महीने सैलरी पाने वाले एक झटके में हो गए बेरोजगार

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नई दिल्ली: contract employees regularization 2024  सरकार के महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग ने दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) में ‘‘अवैध रूप से’’ नियुक्त 52 संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी है। बृहस्पतिवार को अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कर्मचारियों की यह सेवा समाप्ति जून, 2017 में एक समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर की गई है। इससे पहले, 29 अप्रैल को जारी एक आदेश में कहा गया था कि डब्ल्यूसीडी विभाग ने 223 संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है, लेकिन विभाग ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर कहा कि ऐसे 52 कर्मचारियों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया गया है।

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contract employees regularization 2024  इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि 223 पद ‘‘अवैध रूप से’’ सृजित किए गए थे, लेकिन केवल 52 कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था और बाकी पद खाली हैं। अधिकारियों ने बताया कि डब्ल्यूसीडी विभाग ने समिति की सिफारिशों के आधार पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना को प्रस्ताव भेजा, जिन्होंने इसे मंजूरी दे दी। इसके बाद विभाग ने आदेश जारी किया।

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contract employees regularization 2024

contract employees regularization 2024  दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष एवं आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने इस आदेश की आलोचना की है। मालीवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”एलजी (उपराज्यपाल) साहब ने डीसीडब्ल्यू के सभी संविदा कर्मियों को हटाने का एक ‘तुगलकी’ फरमान जारी किया है। आज महिला आयोग में कुल 90 कर्मी हैं जिनमें सिर्फ आठ लोग सरकार की ओर से दिए गए हैं, बाक़ी सब तीन-तीन महीने के अनुबंध पर हैं। अगर सभी संविदा कर्मियों को हटा दिया जाएगा, तो महिला आयोग पर ताला लग जाएगा। ऐसा क्यों कर रहे हैं ये लोग? खून पसीने से बनी है ये संस्था। उसको कर्मचारी और सरंक्षण देने की जगह आप जड़ से खत्म कर रहे हो? मेरे जीते जी मैं महिला आयोग बंद नहीं होने दूँगी। मुझे जेल में डाल दो, महिलाओं पर ज़ुल्म मत करो!”

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contract employees regularization 2024  डब्ल्यूसीडी विभाग के बयान में कहा गया कि फरवरी, 2017 में डीसीडब्ल्यू में अनियमित और अवैध रूप से सृजित पदों तथा संविदा नियुक्तियों से संबंधित शिकायतों को देखने के लिए तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने समिति गठित की थी। बयान में कहा गया कि समिति ने अपनी जांच में नियुक्तियों और अपनाई गई प्रक्रियाओं को अवैध पाया था।

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