धान की तरह अन्य फसलों के उत्पादन के लिए भी मिलेगा आसान ऋण : मुख्यमंत्री

1 min read

रायपुरः-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि धान की तरह अन्य फसलों के उत्पादन के लिए भी सहकारी बैंक से आसानी से ऋण मुहैया कराया जायेगा। इसके लिए ऋणमान में भी बदलाव किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान दलहन-तिलहन और नकद फसलों की खेती कर ज्यादा आमदनी कमा सकें। उन्होंने कहा कि राज्य में राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना के उत्साहजनक परिणाम मिल रही है। दलहन उत्पादन में दूसरी फसल के रूप में राज्य में 17 फीसदी और तिलहन में 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। बघेल आज बिलासपुर में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कृषि समृद्धि मेला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किसानों को आदान सामग्री एवं अनुदान राशि के चेक वितरित किए। समारोह की अध्यक्षता कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने की। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य अतिथि की आसन्दी से कहा कि हमारी आजीविका का प्रमुख आधार कृषि है। नये-नये प्रयोग से राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है। इसके बाद भी हमें आगे बहुत कुछ करना बचा है। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी एवं वानिकी के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। बिलासपुर संभाग में सिंचाई की अच्छी सुविधा है और किसान मेहनतकश हैं। राज्य सरकार के सहयोग से जरूर उद्यानिकी का रकबा यहां बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल विविधता को हम बढ़ावा दे रहे हैं। धान के बदले अन्य फसल अथवा वृक्ष लगाने पर 10 हज़ार प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोदो-कुटकी एवं रागी की फसल खरीदने वाली देश की अकेली राज्य सरकार है। कोदो-कुटकी 3 हज़ार और रागी 3 हज़ार 377 रुपये प्रति क्विन्टल के हिसाब से सरकार इसे खरीदती है।

बघेल ने कहा कि आज हम 65 प्रकार के लघु वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी करते हैं। तीन साल पहले केवल 7 किस्म के लघु वनोपज ही खरीदे जाते थे। स्वरोजगार के प्रमुख साधन के रूप में लाख और मछलीपालन को हमने खेती का दर्जा दिया है। उन्हें भी अब बैंकों से बिना ब्याज के ऋण मिल रहा है। हमने सहकारी संस्थाओं की संख्या बढाकर किसानों के इतने नज़दीक ले आये हैं कि धान बेचने के लिए उन्हें रतज़गा नहीं करना पड़ता और न ही लम्बी लाइन लगानी पड़ती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में दूध की जरूरत और उत्पादन में फिलहाल बड़ा अंतर है। उत्पादन अभी 85 हज़ार लीटर प्रतिदिन हो रहा है जबकि जरूरत ढाई लाख लीटर प्रतिदिन की है। गोधन न्याय योजना से इस खाई को मिटाने में मदद मिल रही है। बहुत जल्द हम दूध उत्पादन के मामले में आत्म निर्भर हो जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई-नई तकनीकों के इस्तेमाल से कृषि उत्पादन में वृद्धि तो हो रही है। लेकिन बाजार नहीं मिलने से इनका वास्तविक लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। इसका फायदा तभी होगा जब हम इनके मूल्य संवर्धन के लिए प्रसंस्करण केन्द्र लगाएं। फसल की किस्मों के अनुरूप राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किये जायेंगे। इसकी कार्य-योजना राज्य सरकार ने तैयार कर ली है। इससे उद्यमियों और युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि तीन दिनों में 30 हज़ार से ज्यादा लोगों ने मेले का अवलोकन कर खेती-किसानी की उन्नत तकनीकी सीखी है। इन नई तकनीकों का इस्तेमाल वे अपनी खेतों पर करेंगे और ज्यादा लाभ कमायेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की तरक्की का रास्ता खेती-किसानी से होकर जाता है। इसलिए सरकार तमाम योजनाएं लाकर किसानों को आर्थिक तौर से मजबूत कर रही है। उन्होंने बिलासपुर में राज्य स्तरीय किसान मेला आयोजित करने का औचित्य भी बताया। उन्होंने कहा कि इस साल हमने अपने वादे से ज्यादा मूल्य पर किसान भाइयों से धान खरीदा है। अगले साल इसमें और वृद्धि हो सकती है। उन्होंने कहा कि खाद संकट का सामना करने के लिए हमारे गौठान तैयार हो गये है। लगभग 16 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार है। छत्तीसगढ़ की गोठान योजना को लागू करने में देश के कई राज्यों ने रुचि दिखाई है।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री एवं बिलासपुर जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि हमने न केवल किसान बल्कि कृषि मज़दूरों की सहायता का ख्याल भी हमने रखा है। लगभग साढ़े 3 लाख कृषि मज़दूरों को साल में 6 हज़ार की सहायता कर रहे हैं। इस साल से इसे बढ़ाकर 7 हज़ार रुपये कर दिये हैं। सचिव कृषि विभाग डॉ. एस. भारतीदासन ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर संसदीय सचिव शकुंतला साहू, विधायक शैलेश पाण्डेय, विधायक रजनीश सिंह, कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा, बीज निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. राम सुन्दर दास, शाकम्भरी बोर्ड के अध्यक्ष रामकुमार पटेल, पर्यटन मण्डल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, महापौर रामशरण यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण सिंह चौहान, जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी एवं विजय पाण्डेय, कमिश्नर डॉ. संजय अलंग, आईजी रतनलाल डांगी, कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर, पुलिस अधीक्षक पारूल माथुर सहित बड़ी संख्या में राज्य भर से आए किसान, जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours