Fraud at Petrol Pumps: अब 1 रुपए का भी पेट्रोल चोरी नहीं कर पाएंगे पेट्रोल पंप वाले, सरकार ने निकाला जबर्दस्त तोड़

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नई दिल्ली: Fraud at Petrol Pump अक्सर देखा जाता है कि जब हम पेट्रोल पंप पर तेल भरवाने के लिए जाते हैं तो पंप कर्मचारी तुरंत जीरो चेक करने के लिए बोलता है. कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां बिना जीरो चेक कराए कर्मचारी तेल भरने लग जाता है. ध्यान ना देने की स्थिति में व्यक्ति अपना नुकसान करा लेता है. इन दिनों पेट्रोल पंप पर धोखाधड़ी के मामले काफी संख्या में सामने आ रहे हैं. यह समस्या इतनी बड़ी हो गई है कि इसकी आवाज देश की संसद तक पहुंच चुकी है. यही कारण है कि संसदीय समिति ने इसके समाधान के लिए अपना सुझाव दिया है. आइए सुझाव के साथ सावधानी बरतने के बारे में कुछ बातें समझ लेते हैं.

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ये है सरकार का प्लान

Fraud at Petrol Pump पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी हो रही है. उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए संसदीय समिति ने पेट्रोल पंपों को डिस्प्ले स्क्रीन पर ईंधन की मात्रा ठीक से दिखाने का सुझाव दिया है. समिति ने पाया कि तमाम सुधारों के बाद भी सटीक माप, छेड़छाड़ और धोखाधड़ी, नियमित निरीक्षण की कमी और सप्लाई चेन आदि जैसी कई चुनौतियों का सामना ग्राहकों को करना पड़ रहा है. इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए केंद्र और राज्य एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा. उपभोक्ताओं के लिए सभी पेट्रोल पंपों पर शिकायत/सुझाव पुस्तिकाएं उपलब्ध हैं, जो सुविधाओं/सेवाओं/या किसी अन्य मुद्दे के संबंध में अपनी शिकायतें उठा सकते हैं. समिति ने रीटेल दुकानों में उपभोक्ता शिकायत निवारण सिस्टम की सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उपभोक्ता के अधिकार की हरसंभव तरीके से रक्षा करना अनिवार्य है.

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Fraud at Petrol Pump ऐसे करें खुद की रक्षा

Fraud at Petrol Pump पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल भरवाते समय केवल जीरो चेक करना ही नहीं बल्कि डेंसिटी चेक करना भी बहुत जरूरी है. डेंसिटी से पता चलता है कि फ्यूल कितना प्योर या असली है. पेट्रोल पंप पर मिलने वाले फ्यूल की डेंसिटी सरकार द्वारा तय की गई सीमा के अंदर होनी चाहिए. अगर डेंसिटी निर्धारित सीमा से कम या ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि फ्यूल में मिलावट की गई है.

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ऐसे चेक करें डेंसिटी

Fraud at Petrol Pump पेट्रोल की डेंसिटी 730 से 800 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बीच होनी चाहिए. अगर डेंसिटी 730 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कम है, तो इसका मतलब है कि फ्यूल में पानी या किसी दूसरी चीज की मिलावट की गई है. इस तरह आपकी जेब पर डाका डाला जा सकता है. इसके अलावा ऐसा पेट्रोल आपकी कार के इंजन को नुकसान पहुंचा सकता है. डीजल की डेंसिटी 830 से 900 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के दरम्यान होनी चाहिए. अगर फ्यूल डेंसिटी इस लिमिट के बाहर है तो समझ जाएं कि तेल में मिलावट की गई है. ऐसा डीजल खरीदा तो ना केवल पैसे बर्बाद होंगे, बल्कि गाड़ी के इंजन में खराबी आने का भी खतरा रहेगा.

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