छात्राओं को तीन घंटे तक बैठाया बिना ब्रा के, जानिए क्यों स्टूडेंट्स के साथ हुई ऐसी हरकत

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मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET के दौरान केरल के कोल्लम में एग्जास हॉल में जाने से पहले चेकिंग के नाम पर कुछ छात्राओं के ब्रा उतरवाने की घटना को लेकर केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। जहाँ शिक्षा मंत्रालय ने एग्जाम बाद से उभरे इस मामले में NTA से रिपोर्ट माँगी है। वहीं NTA ने पुलिस में दी गई शिकायत को ‘मनगढ़ंत’ और ‘गलत इरादे’ से की गई बताया है। फ़िलहाल NTA ने इलाके का दौरा करने से एक कमिटी का गठन किया है, जो तथ्यों का पता लगाएगी। वहीं इस मामले में महिला आयोग भी कार्रवाई के लिए पत्र लिख चुका है।

क्या है मामला
केरल के कोल्लम में NEET एग्जाम सेंटर पर सख्ती के नाम पर करीब 100 से अधिक छात्राओं को अपने ब्रा उतारने के लिए मजबूर किया गया। इसको लेकर अब छात्राओं के परिजनों ने पुलिस में मामला दर्ज कराया है। जबकि कोल्लम के मोर्थम इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलेजी ने छात्राओं के आरोपों से इनकार किया है।

इस मामले में केरल पुलिस को अब तक तीन शिकायतें मिलीं हैं। जिसमें से एक केरल के कोल्लम जिले में 17 वर्षीय लड़की के पिता गोपकुमार सूरनाद ने दर्ज कराई है। उन्होंने TNM से बात करते हुए बताया कि उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा जारी आधिकारिक सूचना बुलेटिन में धातु के हुक वाली ब्रा पर किसी प्रतिबंध का उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि जब उनकी बेटी ने अपने इनरवियर को हटाने से इनकार कर दिया, तो उन्हें परीक्षा न देने के लिए कहा गया। मेरी बेटी लंबे समय से इस परीक्षा की तैयारी कर रही थी। लेकिन वह ठीक से परीक्षा भी नहीं लिख पा रही थी। वह दुखी होकर रोती हुई हमारे पास लौट आई। उन्होंने आगे बताया कि सेंटर पर अनिवार्य रूप से छात्राओं से अपने इनरवियर को हटाने के लिए कहा गया था। बच्चे बहुत असहज थे। उनमें से कई रो रहे थे। अगर ऐसा है तो वे फ्रिस्किंग के दौरान इनरवियर चेक कर सकते हैं। लेकिन उन्हें क्यों हटाएँ? NEET बुलेटिन में ऐसे कोई नियम नहीं हैं।

वहीं NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित छात्रा ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, “उन्होंने मुझसे पूछा, क्या आपने मेटल हुक इनरवियर पहना है? मेरे हाँ कहने पर उन्होंने मुझे अलग लाइन में खड़ा कर दिया।”

लड़की ने कहा कि उसे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। इसके बाद बाद उन्होंने मुझे इनरवियर उतारकर मेज पर रखने को कहा। सारी इनरवियर एक साथ रखी गई थीं। हमें ये तक नहीं पता था कि हमें ये वापस मिलेंगी भी या नहीं। हम जब एग्जाम देकर लौटे तो बहुत भीड़ थी। धक्का-मुक्की हुई लेकिन मुझे अपनी इनरवियर वापस मिल गई।”

पीड़िता ने आरोप लगाया, “उन्होंने हमसे अपनी इनरवियर हाथ में लेकर वहाँ से जाने को कहा, उन्होंने कहा कि इसे यहाँ पहनने की जरूरत नहीं है। हम यह सुनकर हम बहुत शर्मिंदा हुए। यह बहुत भयानक अनुभव था। जब हम एग्जाम हॉल में लिख रहे थे तब हमने अपने बालों से सीना ढका। वहाँ लड़के-लड़कियाँ दोनों थे। यह बहुत ही कठिन और असहज स्थिति थी।”

NCW ने लिया संज्ञान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस संगीन प्रकरण को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग शर्मनाक करार दे चुका है। एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने एनटीए को पत्र लिखकर आरोपों की स्वतंत्र जाँच की माँग की है। इस घटना के सामने आने के बाद केरल के उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने भी इस घटना को ‘अमानवीय और चौंकाने वाला’ करार दिया और केंद्र से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।

वहीं NBT की रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमें कोई शिकायत अथवा प्रतिवेदन नहीं मिला है। मीडिया रिपोर्ट में किए गए दावों के आधार पर केन्द्र के अधीक्षक तथा पर्यवेक्षक से तत्काल रिपोर्ट माँगी गई है।” उन्होंने आगे यह भी कहा कि हमें बताया गया है कि इस प्रकार की कोई घटना नहीं हुई है और दर्ज कराई गई शिकायत ‘मनगढ़ंत’ और ‘गलत इरादे’ से की गई है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, छात्राओं ने दावा किया है कि रविवार को जब वे परीक्षा देकर बाहर निकलीं तो उन्हें सारे अंडरगारमेंट्स डिब्बों में एक साथ फेंके हुए मिले। जबकि केरल के मार्थोमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में स्थित अयूर चदायमंगलम केंद्र ने यह कहते हुए जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है कि छात्राओं की तलाशी और बायोमेट्रिक जाँच बाहरी एजेंसियों द्वारा की गई थी।

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