सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी बॉम्बे को इस बात को लेकर कड़ी फटकार लगाई है कि उसने दिल्ली के एयर पलूशन पर कंट्रोल के मद्देनजर लगाए जाने वाले स्मॉग टावर के काम से अपने हाथ पीछे खींचने का इरादा कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने मामले में फटकार लगाते हुए चेताया कि ये कोर्ट का कंटेंप्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के प्रोजेक्ट से आईआईटी बॉम्बे के पीछे हटने का जो इरादा है वह बेहद गलत है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार सख्त लहजे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आधे घंटे में हमें आईआईटी बॉम्बे का जवाब चाहिए। तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इतनी जल्दी कैसे संभव है, यहां उनका कोई नुमाइंदा भी नहीं है। कोर्ट में मेहता ने कहा कि 24 घंटे का वक्त दिया जाए इसमें कुछ नहीं बिगड़ेगा। तब कोर्ट ने कहा कि आप मेरी जगह बैठकर देखिए। आप आईआईटी बॉम्बे को बचाने में लगे हैं। हालांकि, फिर सॉलिसिटर जनरल ने आग्रह किया जिस पर सुनवाई गुरुवार के लिए टाल दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड और आईआईटी बॉम्बे के अधिकारियों ने साइट का इंस्पेक्शन किया था। इसके 6 महीने बाद अब वह पीछे हटने की बात कर रही है। यह हरकत अदालत का कंटेप्ट का मामला बनता है। अदालत ने कहा कि सीपीसीबी के साथ एमओयू भी तैयार हुआ था। हम इस देरी के मामले मेंं आईआईटी बॉम्बे और अन्य जिम्मेदार अथॉरिटी को अदालत के आदेश के पालन में हुई देरी के लिए सजा दे सकते हैं। अदालत ने कहा कि ये समझ में नहीं आता है कि आखिर सरकारी प्रोजेक्ट से अपना स्टेप कैसे पीछे लिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा पिछली सुनवाई में कहा गया था कि दिल्ली और केंद्र सरकार एक समग्र प्लान तैयार करे और दिल्ली मे चारों तरफ स्मॉग टावर लगाने के बारे में प्लान तैयार करे। अदालत ने दिल्ली और केंद्र से कहा है कि वह अपने मतभेद को भूलकर एयर प्यूरिफायर टावर लगाने के लिए प्लान तैयार करें।