रायपुरः-Indian Railways : छत्तीसगढ़ के रेल यात्रियों की मुसीबतें कम नहीं हो रही है। पहले यात्री ट्रेनों के कैंसिल होने से परेशान हो रहे थे। अब ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण यात्रियों को हलाकान होना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि फेस्टिव सीजन में ज्यादातर ट्रेनें तीन से 8 घंटे देरी से चल रही हैं। ऐसे में सफर करने वाले यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ की सीमा में आने के बाद ही गाड़ियां लेट हो रही हैं।
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Indian Railways : बिलासपुर रेलवे जोन रेल लदान के लिए सबसे बड़े कमाई का जरिया है। यहां से सर्वाधिक मात्रा में कोयले का उत्पादन और परिवहन होता है। इसके साथ ही बॉक्साइट पत्थर सहित अन्य माल लदान का काम मालगाड़ियों से होता है। ऐसे में रेलवे अपनी कमाई के लिए बेधड़क मालगाड़ियां चला रही है। स्थिति यह है कि एक दिन में 175 से 200 तक की संख्या में मालगाड़ियां दौड़ रही है।
Indian Railways : यात्री ट्रेनों को रोककर पास कराते हैं मालगाड़ी
Indian Railways :लगातार चल रही मालगाड़ियों के चलते यात्री ट्रेनों को ट्रैक में जगह नहीं मिल पा रही है। मालगाड़ियों को गुजारने के लिए स्टेशन और आउटर में यात्री ट्रेनों को रोक दिया जाता है, जिसके चलते छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश करते ही गाड़ियां लेट होनी शुरू हो जाती है।
सभी दिशाओं की गाड़ियों की लेटलतीफी से परेशान हैं यात्री
Indian Railways :दैनिक रेल यात्री संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि मेल, आजाद एक्सप्रेस, दूरंतो, ज्ञानेश्वरी सुपरडीलक्स जैसी गाड़ियां देरी से चल रही हैं। वहीं, आजाद हिंद एक्सप्रेस, सांतरागाछी- पोरबंदर एक्सप्रेस, दुर्ग-नौतनवा, अमरकंटक एक्सप्रेस, छपरा- दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें 3 से 8 घंटे देरी से चल रही है। ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या एक दिन नहीं। बल्कि, सप्ताह में हर दिन रहती है। इतवारी- बिलासपुर शिवनाथ एक्सप्रेस, इतवारी- बिलासपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस भी लेट हो रही है। जबकि, इन गाड़ियों को रेलवे समय पर चला सकती है।
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Indian Railways : रेल अफसर भी नहीं लेते सुध
Indian Railways :एक समय था, जब ट्रेनें कुछ समय के लिए भी देर होती थी, तब रनिंग स्टाफ से लेकर अधिकारियों और कंट्रोल रूम के कर्मचारी परेशान हो जाते थे। लेकिन, अब स्थिति यह है कि 8 से 10 घंटे भी ट्रेन देर हो जाए तो कोई जानकारी लेने वाला नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि रेलवे प्रशासन को ट्रेनों के सही तरीके से परिचालन में कोई रूचि ही नहीं है। वहीं, सिर्फ माल लदान और मालगाड़ियों की चिंता रहती है। मालगाड़ियों के लिए यात्री ट्रेनों को कहीं भी खड़ा कर दिया जाता है, जिसके चलते यात्री ट्रेनें लेट हो रही है।
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