नई दिल्लीः Jagdeep Dhankhar देश को आज नया उपराष्ट्रपति मिल गया है. एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने भारी मतों से जीत दर्ज की है. उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया है. धनखड़ को 528 वोट मिले, जबकि अल्वा को 182 वोट प्राप्त हुए. वहीं, 15 वोटों को रद्द कर दिया गया. एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनकड़ को करीब 74.46 फीसदी वोट मिले. धनखड़ 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. पिछली बार उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वेंकैया नायडू को लगभग 67 प्रतिशत वोट मिले थे. इस बार पिछले बार से लगभग 7.5 फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं. जगदीप धनखड़ मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है और नए उपराष्ट्रपति 11 अगस्त को शपथ लेंगे. बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव में 780 सांसदों में से 725 ने मतदान किया.
Jagdeep Dhankhar Vice President of India
Jagdeep Dhankhar दरअसल, संसद के दोनों सदनों को मिलाकर कुल सदस्यों की संख्या 788 होती है, जिनमें से उच्च सदन की आठ सीट फिलहाल खाली है. ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव में 780 सांसद वोट डालने के लिए पात्र थे. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस के 36 सांसदों में केवल 2 सांसदों ने वोट डाले जबकि 34 सांसदों ने वोट नहीं डाले. दरअसल, तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह मतदान से दूर रहेगी. उसके दोनों सदनों को मिलाकर कुल 39 सांसद हैं.
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उपराष्ट्रपति चुनाव में 93 फीसदी वोट पड़े
Jagdeep Dhankhar बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत लगभग 93 फीसदी सांसदों ने मतदान किया, जबकि 50 से अधिक सांसदों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया. सुभेंदु अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी और भाई दुब्येंदु अधिकारी ने पार्टी की उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग बायकॉट की घोषणा के बावजूद भी वोटिंग की. वहीं, बीजेपी सांसद शनि देओल और संजय धोत्रे ने स्वास्थ्य कारणों से वोट नहीं डाला. उधर, समाजवादी पार्टी से मुलायम सिंह और बी एस पी से सफीकुर्र रहमान ने वोट नहीं डाला.
धनखड़ के जीतने से बन अजीब संयोग
Jagdeep Dhankhar धनखड़ के जीतने के बाद एक अजीब संयोग बना है. लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति एक ही राज्य से हैं. वर्तमान में ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं और वह राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं. बता दें कि पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है.
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वोटिंग से एक दिन पहले धनखड़ ने कही थी ये बात
Jagdeep Dhankhar वोटिंग से एक दिन पहले अल्वा ने एक वीडियो संदेश में कहा था, ‘संसद के कामकाज को अगर प्रभावी बनाना है तो सांसदों को एक दूसरे के बीच विश्वास बहाली और टूट चुके संवाद को कायम करने के लिए रास्ते निकालने होंगे. अंतत: वह सांसद ही हैं, जो हमारी संसद का चरित्र निर्धारित करते हैं.’ उन्होंने कहा था, ‘समय आ चुका है कि एक दूसरे के बीच विश्वास बहाली और संसद की गरिमा को बहाल करने के लिए सभी दल साथ आएं.’
नाम की घोषणा करते वक्त नड्डा ने धनखड़ को कहा था ‘किसान पुत्र’
Jagdeep Dhankhar 71 वर्षीय धनखड़ एक प्रसिद्ध वकील रहे हैं. उन्होंने ने राजस्थान उच्च न्यायालय और देश के उच्चतम न्यायालय दोनों में वकालत की है. धनखड़ राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा था कि धनखड़ लगभग तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में हैं. साथ ही, उन्होंने जाट नेता को ‘किसान पुत्र’ करार दिया था.
1989 में झुंझुनू से पहली बार सांसद बने
Jagdeep Dhankhar धनखड़ 1989 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया. वह वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में मंत्री भी रहे. 1991 में धनखड़ जनता दल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए. वहीं, 1993 में वह अजमेर के किशनगढ़ से विधायक बने. इसके बाद 2003 में वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और तब से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करने को लेकर वह अक्सर सुर्खियों में रहे हैं.
Jagdeep Dhankhar झुंझुनू जिले के एक किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की. भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली. धनखड़ को एक खेल प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है और वह राजस्थान ओलंपिक संघ और राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं.
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