रायपुर : भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेश का आज निधन हो गया है। इस खबर से आज देश में पूरा शोक की लहर दौड़ गई। लता ने एक से बढ़कर एक कई हिट गानों और कई भाषाओं में उन्होंने आवाज दी है। लता ने आज से 17 साल पहले छत्तीसगढ़ी गीत भी गाया था। छत्तीसगढ़ी गीत में अपनी आवाज देने वाली लता को आज छत्तीसगढ़ ने पूरा याद किया है। लता का छत्तीसगढ़ से एक गहरा जुड़ाव है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी फिल्म भकला में उन्होंने छुट जही अंगना दुवारी गीत को गाया था, उस दौर में उनकी इसी गीत में पूरा छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय बना रहा। छत्तीसगढ़ के लोग लता मंगेशकर की आवाज में गाया हुआ गाना शादी विवाह के दौरान विदाई में गुनगुनाया करते हैं।
शायद कम ही लोग जानते होंगे कि लता जी का नाम छत्तीसगढ़ की फिल्मों से भी काफी जुड़ा रहा है। उन्होंने एक ऐसा यादगार छत्तीसगढ़ी गीत गाया है जो आज भी लोगों की जुबान से उतरा नहीं है। वैसे तो छॉलीवुड में कई फनकार है लेकिन लता मंगेशकर से गीत गंवाने के लिए यहां के गीतकार और डायरेक्टर को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। तब जाकर 17 साल पहले साल 2005 में उन्होंने छॉलीवुड को अपनी नायाब आवाज से पहचान दी थी।
यह छत्तीसगढ़ी गीत लता मंगेशकर की आवाज में 22 फरवरी 2005 को मुंबई के स्वरलता स्टूडियो में रेकॉर्ड किया गया था। बताया जाता है कि लता जी ने लोगों को मिठाई खिलाने के लिए गीतकार मदन को 50 हजार रुपए दिए थे। एक इंटरव्यू के दौरान छत्तीसगढ़ के मशहूर गीतकार मदन शर्मा ने बताया था कि लता दीदी को गाने के लिए राजी करना उनकी जिंदगी का अब तक का सबसे मुश्किल काम रहा। इस काम के लिए चार बार मुंबई के चक्कर लगाने पड़े। लता जी से छत्तीसगढ़ी में गाना गंवाने के लिए गीतकार मदन ने उपवास तक रखा था। शाम 6 बजे गाना पूरा होने के बाद मदन ने उपवास तोड़ा था।
वहीं, छत्तीसगढ़ स्थित खैरागढ़ विश्वविद्यालय एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय है, जहां पर भी लता मंगेशकर की यादें जुड़ी हुई हैं। लता जी को 9 फरवरी 1980 को इंदिरा गांधी कला एवं संगीत विश्वविद्यालय ने संगीत के क्षेत्र में डी-लिट की उपाधि से नवाजा था। छत्तीसगढ़ का संगीत विश्वविद्यालय आज भी आज भी लता जी की यादों के साथ चल रहा है। यहां संगीत का अध्ययन करने वाले प्रत्येक छात्र छात्राएं उनके कई गीतों को गाकर संगीत को गहराई से समझने का काम भी करते हैं।
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