शनिवार को रायपुर पहुंचे रितेश्वर महाराज वृंदावन धाम के प्रमुख ने की प्रेस कांफ्रेंस।
श्री रितेश्वर महाराज जी रायपुर पहुंचे उन्हों ने छत्तीसगढ़ में शराब बंदी को लेकर बड़ी बात कही। सक्त अंदाज में प्रदेश सरकार और देश के सरकार को कुछ नसीहत भी दी। छत्तीसगढ़ में भी पंजाब की तरह नशाखोरी बढ़ते जा रही है। लाखों घर शराब के कारण से टूट रही है। जो सरकार शराब के टैक्स से चल रही उसे शर्म नही आती। देश और राज्य में किसी भी पार्टी की सरकार हो जो शराब के टैक्स से चलती है वो कभी भी अच्छा और सही सरकार नहीं हो सकता, उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है की राज्य में पूर्ण शराब बंदी होना चाहिए। इन्हे नही रोका तो प्रदेश में आराजकता बढ़ेंगी।
मणिपुर में जो हो रहा है वो धर्म परिवर्तन का श्राप है
धर्म परिवर्तन का प्रभाव देश में अच्छे नहीं रहे हैं। मणिपुर इसका उदाहरण हैं। धर्म परिवर्तन के आलावा हम सबको अपने और देश के विकास के बारे में सोचना चाहिए। उसके लिए रोजी रोटी और मकान की चर्चा करें। धर्मांतरण का समर्थन कोई भी सनातनी या धार्मिक व्यक्ति नहीं कर सकता।
CBSE का तरह सनातनी बोर्ड का गठन होना चाहिए।
सनातन एक संस्कृति है और भारत में रहने वाले हर व्यक्ति सनातनी हैं , सब पूर्वज भी सनातनी है। 145 करोड़ सनातनियो के लिए मुगलों की शिक्षा व्यवस्था की जरूर नही है। हमारी प्राचीन शिक्षा व्यवस्था रही हैं। नासा में 30% वैज्ञानिक भारतीय है, हम अपनी शिक्षा व्यवस्था से पढ़ेंगे नकी अंग्रेजों और मुगलों के व्यवस्था से , स्कूलों में सनातनी की व्यवस्था होना चाहिए।
हिंदू राष्ट्र पर अलग राय।
हिंदू राष्ट्र के मसले पर कहा – सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की हिंदू एक जीवन पद्धति हैं। मैं राम राज्य की परिकल्पना करता हूं मैं हिंदू राष्ट्र से अलग नहीं हूं। लेकिन यहां शब्दों का फेर है हिंदू तो रावण भी था। क्या वैसा ही राष्ट्र बनाना चाहते है या कंस की तरह?
कैसे आएगा राम राज्य।
उन्होंने मिडिया के सवाल के जवाब में कहा – मैं राम राज्य की परिकल्पना करता हूं। राम राज्य की तीन परिभाषा है यहां पूरे भारत की जरूरत है। तीनों बातों पर यह निर्भर हैं। निशुल्क और उत्तम शिक्षा, चिकित्सा और अविलंब न्याय ये बातें जिस राज्य में होगी वहा राम राज्य स्थापित होगा।
खुद को संप्रदाय कहने पर मुझे डर लगता हैं।
महाराज जी ने कहा की सत्य जिसमे धारण करने की क्षमता होती है वही धर्म हैं। क्या राजनीति सत्य और झूठ से चलानी चाहिए या फिर कपट और धर्म से चलाना चाहिए। धर्म का अर्थ रीजनल नही होता। तिलक और दाढ़ी नही होता है। धर्म का अर्थ होता है की एक मनुष्य, मनुष्य के रूप में विकसित हो और मनुष्यता से देवत्व की ओर जाए , उसके भीतर सद्गुणों का विकास हो ।