Manipur Violance : मणिपुर में उग्रवादी हमला हुआ है. इस हमले में CRPF के दो जवान शहीद हो गए हैं. शहीद हुए दोनों जवान 128वीं बटालियन के थे. घटना नारानसेना इलाके की है. कुकी उग्रवादियों ने ये हमला किया है. घटना की जानकारी देते हुए मणिपुर पुलिस ने बताया है कि मणिपुर के नारानसेना इलाके में आधी रात से लेकर सुबह 2:15 बजे तक कुकी उग्रवादियों के हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के दो जवानों की जान चली गई. ये जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात CRPF की 128वीं बटालियन के थे..
हिंसा की आग में झुलस रहा मणिपुर
बता दें कि मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की आग में झुलस रहा है. मैतेई और कुकी समुदायों के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. आए दिन यहां गोलीबारी और हत्या की खबरें सामने आती रहती हैं. तीन दिन पहले मणिपुर से गोलीबारी की घटना सामने आई थी. पश्चिमी इंफाल के अवांग सेकमई और पड़ोसी लुवांगसंगोल गांव में दो गुटों में झड़प हो गई थी.
Manipur Violance :
Manipur Violance : इस दौरान दोनों तरफ से गोलीबारी हुई थी. हालांकि, इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई जानकारी सामने नहीं आई थी. गोलीबारी के बाद इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई. मणिपुर में अब तक की हिंसा में तकरीबन 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. हजारों लोग घायल हुए हैं और इससे अधिक लोगों को बेघर होना पड़ा है. हजारों लोग पलायन कर गए..
Two Central Reserve Police Force (CRPF) personnel lost their lives in an attack by Kuki militants starting from midnight till 2:15 am at Naransena area in Manipur. The personnel are from CRPF's 128 Battalion deployed at Naransena area in Bishnupur district in the state: Manipur…
— ANI (@ANI) April 27, 2024
मणिपुर में मई 2023 में शुरू हुई थी हिंसा
Manipur Violance : बता दें कि मई 2023 में मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी, तब से लगातार गोलीबारी-हिंसा जैसी घटनाएं घट रही हैं. मैतेई-कुकी विवाद को अब तक पूरी तरह सुलझाया नहीं गया है. मणिपुर में जातीय हिंसा को शांत कराने के लिए न जाने कितने जतन किए गए, इसके बावजूद इस पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पाया है. मैतेई लोग मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं और मुख्य रूप से इंफाल के आसपास के घाटी क्षेत्रों में बसे हुए हैं, जबकि आदिवासी पहाड़ियों में ज्यादातर निवास करते हैं.
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