रीवा हमारे देश में गाय को गौ माता का दर्जा प्राप्त है उसके बावजूद गौवंश की हालत बहुत ही चिंताजनक हो गई है एक समय था जब लोग दिन में मवेशियों को सुबह चरने के लिए भेज देते थे और शाम को अपने घर पर बांध लेते थे गाय दूध देती है घर पर रखते हैं और उसके बाद बाहर सड़क पर मरने के लिए छोड़ देते हैंएक तरफ सरकार गौवंश के लिए गौशाला का निर्माण गांव गांव करवाई है आवारा पशुओं के लिए खाना पानी का बजट भी अलग से उपलब्ध कराया गया है उसके बाद भी गांव से लेकर शहरों की सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में देखने को मिल जायेंगे सरकार का प्रयास पूरी तरह से विफल नजर आ रहा है गौवंश और गौशाला के लिए सरकार बजट पर्याप्त नहीं है या प्रशासन अपना कार्य अच्छे से नहीं कर पा रहा है ग्राम पंचायत से लेकर शहर तक सारे एजेंसिया अपने हाँथ खड़े कर दे रही हैं।
गौवंश-सड़कों पर बेबस रहने को मजबूर
प्रदेश सरकार गौवंश के लिए जगह जगह गौशाला का निर्माण कार्य करा रही है जिससे गौवंश आवारा न घूम सके समुचित व्यवस्था बनी रहे यहाँ शहर में अलग अलग जगह गौवंश बैठे रहते हैं बारिश का मौसम जिसमें आवारा पशु खुलेआम भीगते रहते हैं बेजुबान पानी में भीगते हुए जान जोखिम डालकर रहने को मजबूर रहता है।
आये दिन होती है दुर्घटना
पूर्व में सड़कों में बैठे अनेकों जानवरों के कारण वाहनों से निकलने वाले लोगों से चूक हो जाती है और घटना हो जाती है इसके अलावा हजारों लोग भी दुर्घटना के कारण जान से हांथ धो बैठते हैं।
गौशाला की स्थिति दयनीय*गौवंश को रखने के लिए जितने गौशाला बने हुए हैं उस गौशाला में कोई गौवंश को देखने वाला नहीं हमेशा खबरे आती रहती है कि गौशाला में बिना खाना पानी के बीमार होने पर गौवंश की मौत हो चुकी है जिसे देखकर लगता है कि गौशाला केवल कागजों में ही सीमित है।