जन्म से दोनों हाथ नहीं, फिर भी महापरीक्षा में हासिल की कामयाबी, सफलता के शिखर पर पहुंचने आतुर है शांति

1 min read

[lwptoc]

महासमुंद: Not both hands since birth जन्म से विकलांगता से जूझने वाली 30 वर्षीय दिव्यांग शांति बाई ठाकुर के पास हौसले की कोई कमी नहीं है। महासमुंद सहित पूरे छत्तीसगढ़ में पैर से लिखकर प्रौढ़ शिक्षार्थी के तौर पर मशहूर शांति की कहानी एक मिसाल बन गई है जो लाखों लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। शांति का जन्म महासमुंद ज़िले के बागबाहरा के दैहानीभाठा में हुआ। जन्म के समय ही इनके दोनों हाथ नही थे। बड़ा सवाल यह है छोटी उम्र में आत्महत्या विचार करने वालि शांति ने सफलता की कौन सी कुंजी खोज निकाली जो आम लोगों के पास नहीं है। विकलांग लोगों को व्हील चेयर देने या उनके लिए कोई इमारत बनाने से बदलाव नहीं आएगा, उन्हें भरोसा देने की जरूरत है कि आप भी कुछ कर सकते हैं। आज वह सफलता के शिखर पर पहुँचने को आतुर दिखाई दे रही है।

Read More: राजनांदगांव आबकारी विभाग की बड़ी कार्रवाई : 172.8 बल्क लीटर अवैध शराब बरामद

जन्म से विकलांग है शांति बाई ठाकुर

Not both hands since birth कई बार सुना मंजिलें उनको मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है, को वाक़ई अक्षरश: चरितार्थ करते हुए बागबाहरा की शांति जिनके जन्म से दोनों हाथ नहीं थे। उन्होंने हाल ही में पैर से लिखकर पढ़ना लिखना अभियान के अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षार्थियों के महापरीक्षा में कामयाबी हासिल की है। वे अपने परिजनों को भी पढ़ाई के लिए जागरुक कर रही है। शांति के दोनो हाथ नहीं होने के बावजूद अपने परिवार के लिए अपने दोनो पैरो से खाना बनाना, खाना खाना, सब्जी, पूड़ी, जीवन की दैनिक कार्य के साथ साथ मोबाइल भी चला लेती है। पति इन्दल ठाकुर मजदूरी का काम कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है।

Read More: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केल्हारी में एक्सरे सुविधा शुरू,कलेक्टर ने बीते दिनों निरीक्षण कर एक्सरे संचालन शुरू करने के दिये थे निर्देश

Chhattisgarh Today
Chhattisgarh Today

कलेक्टर ने शांति बाई ठाकुर से की मुलाकात

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर प्रौढ़ शिक्षार्थी शांति बाई ठाकुर से मुलाकात की। उनके जज़्बे की सराहना की और फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। पढ़ने की किताब सौंपी। उनके रहन सहन दैनिक जीवनचर्या के बारे में जानकारी ली गई। ठाकुर ने बताया कि उन्हें निराश्रित पेंशन मिलती और शासन की योजना के तहत उन्हें राशन उपलब्ध कराया जाता है। कलेक्टर ने छतीसगढ़ सरकार के अंत्योदय योजना के तहत राशन कार्ड के निर्देश दिए। इस योजना के तहत 5 किलो चावल प्रति व्यक्ति के हिसाब से मुफ़्त दिया जाता है। इसके लिए कोई शुल्क भी नही देना होता। इसके अलावा आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराने कहा। शान्ति ने बताया कि उन्हें बचपन से पढ़ने-लिखने की रुचि रही है। कलेक्टर को बताया कि आखर झापी किताब की 24 पाठ पढ़ लिया है। इस अवसर पर सीईओ ज़िला पंचायत एस.आलोक, एसडीएम स्निग्धा तिवारी सहित संबंधित अधिकारी साथ थे।

Read More: आप भी हैं इस बैंक के ग्राहक तो ध्यान दें! कल से बदल रहा ये अहम नियम, हो सकती है दिक्कत

बन गया अन्त्योदय राशन कार्ड

कलेक्टर के निर्देश पर तुरंत दिव्यांग शांति का अंत्योदय योजना के तहत राशन कार्ड बन गया। नगरपालिका अधिकारी ने उनके पति इन्दल को अन्त्योदय राशन कार्ड सौंपा।

Read More: मां बनी कॉमेडियन भारती सिंह, बेटे को दिया जन्म, पति हर्ष ने शेयर की तस्वीर

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours