Ghulam Nabi Azad: गुलाम नबी आजाद ने गाजा पट्टी की स्थिति का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि लोगों को शक्तिशाली देशों से शांति बहाल करने की उम्मीदें हैं.
Ghulam Nabi Azad on Jammu and Kashmir Situation: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने राज्य में स्थिति सामान्य होने बाद भी विधानसभा चुनाव कराने में लगातार देरी पर ‘गंभीर चिंता’ जताई है.
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 30-35 सालों में पहले कभी हालात इतने सामान्य नहीं रहे, लेकिन यह शायद जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार है कि जब इतने लंबे समय से विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं. आजाद शनिवार (21 अक्टूबर) को बटमालू में एक पब्लिक मीटिंग को संबोधित करने पहुंचे थे.
‘नेताओं, कश्मीरी पंडितों ने छोड़ दी थी घाटी’
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा, ‘जब जम्मू-कश्मीर में हालात खराब थे, खून-खराबा हुआ था और नेताओं ने घाटी छोड़ दी थी, कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ दी थी, उस वक्त भी 5-6 साल बाद चुनाव हुए थे. आज जब सब कुछ सामान्य हैं तो भी पिछले 9 सालों से यहां चुनाव नहीं करवाए गए हैं. यह बेहद ही चिंताजनक विषय है.’
‘पिछले 36 सालों में हुई पहली रैली’
आजाद ने कहा, ‘इस क्षेत्र में शांति है और एक राजनीतिक बैठक हो सकती है, यह अपने आप में एक आश्चर्य है. मुझे लगता है कि पिछले 35-36 वर्षों में यह यहां पहली राजनीतिक बैठक है.’
‘कांग्रेस में था तब यहां किसी की बैठक करने की हिम्मत नहीं थी’
उन्होंने कहा, ‘जब मैं मुख्यमंत्री था या कांग्रेस में था, तो किसी की यहां बैठक करने की हिम्मत नहीं थी, क्योंकि, दुर्भाग्य से, इस क्षेत्र में स्थिति अच्छी नहीं थी. मुझे खुशी है कि अब शहर में शांति है.’
‘एलजी निर्वाचित प्रतिनिधियों की जगह नहीं ले सकते’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उपराज्यपाल (एलजी) का प्रशासन अपना काम कर रहा है लेकिन वह निर्वाचित प्रतिनिधियों की जगह नहीं ले सकता. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि एलजी अपना काम नहीं कर रहे हैं, या अधिकारी अपना काम नहीं कर रहे हैं. हम उनसे वह काम करने के लिए कह रहे हैं जो उनका नहीं, बल्कि मंत्रियों, विधायकों, निर्वाचित प्रतिनिधियों का है.
‘सीएम, एमएलए हर जगह पहुंचते हैं, अधिकारी नहीं’
उन्होंने कहा कि एक निर्वाचित विधायक या मुख्यमंत्री हर जगह पहुंचता है, लोगों के बीच घूमता है और लोगों से उनके मुद्दों के बारे में पूछता है. अब ऐसा नहीं होता है, क्योंकि अधिकारी इसके लिए नहीं है, वे कार्यालय चलाने के लिए हैं. अगर विधायकों को सचिव बनाया जाएगा, तो वे एक ही दिन में फाइल नष्ट कर देंगे.
‘अधिकारी बुद्धिमान और अच्छे हैं लेकिन…’
डीपीएपी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी ने हमेशा मांग की है कि विधानसभा चुनाव जरूरी है, क्योंकि केवल विधायक ही प्रभावी ढंग से लोगों की सेवा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारी बुद्धिमान और अच्छे हैं लेकिन अगर वे विधायकों की तरह काम करेंगे तो सचिवालय को नुकसान होगा. इसलिए विधायकों का चुनाव होना चाहिए.
‘लोगों को शक्तिशाली देशों से शांति बहाली की उम्मीदें’
गाजा पट्टी की स्थिति का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि लोगों को शक्तिशाली देशों से शांति बहाल करने की उम्मीदें हैं. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, शक्तिशाली देश, जो शांति और सौहार्द बहाल कर सकते हैं, खुद ही इसमें (युद्ध में) शामिल हो जाते हैं तो इसे बहाल कौन करेगा?