MP Election Special: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच यह जानना दिलचस्प होगा कि राज्य को तीन बार राष्ट्रपति शासन का सामना करना पड़ा है।
मध्य प्रदेश में तीन बार राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आई थी।मध्य प्रदेश में पहली मर्तबा 1977 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। मध्य प्रदेश में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत 1980 में आई थी।तीसरी बार 1992 में लगा मप्र में राष्ट्रपति शासन
MP Election Special: इंदौर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अंतिम चरण में है। नामांकन पत्र दाखिल होने का सिलसिला आरंभ होने के साथ ही मतदान की घड़ी भी नजदीक आती जा रही है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान कराया जाएगा। इस आलेख में हम आपको यह बता रहे हैं कि तमाम उतार-चढ़ाव से गुजरी राजनीति के बीच मध्य प्रदेश में तीन बार राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आई थी।
श्यामाचरण शुक्ल
मध्य प्रदेश में पहली मर्तबा 1977 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। इसकी अवधि केवल चार महीने ही थी। मामला यह था कि मार्च 1977 में जब दिल्ली में जनता पार्टी सत्ता पर काबिज हुई तो मोरारजी देसाई ने मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। 30 अप्रैल 1977 को मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। आपातकाल के समय प्रकाशचंद्र सेठी की जगह श्यामाचरण शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
श्यामाचरण शुक्ल को ऐसे मिली सूचना
राजनीति के जानकार बताते हैं रात करीब 9 बजे मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल को अपने सचिव से इस बात की जानकारी मिली कि कार्यवाहक राष्ट्रपति बीडी जत्ती ने कांग्रेस शासित 9 राज्यों की विधानसभाओं को भंग करने का अध्यादेश जारी कर दिया है। मतलब साफ था कि चौधरी चरण सिंह की जनता पार्टी सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही कांग्रेस की राज्य सरकारों को हटा दिया था
सुंदरलाल पटवा
मध्य प्रदेश में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत 1980 में आई थी। इसकी अवधि भी करीब चार माह ही थी। उस समय मध्य प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार थी। यह नौबत इसलिये आई क्योंकि केंद्र में इंदिरा गांधी भारतीय जनता पार्टी को हटाकर प्रधानमंत्री पद का दायित्य संभाल चुकी थी। प्रधानमंत्री बनते ही इंदिरा गांधी ने मध्य प्रदेश में चुनाव की घोषणा कर दी। जब मप्र में राष्ट्रपति शासन दूसरी बार लगा तक सुंदरलाल पटवा की 29 दिन की ही सरकार थी।
तीसरी बार 1992 में लगा मप्र में राष्ट्रपति शासन
मध्य प्रदेश में तीसरी बार सबसे लंबे समय के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया। तब दिसंबर 1992 से दिसंबर 1993 तक के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने मध्य प्रदेश की सुंदरलाल पटवा सरकार को बर्खास्त कर दिया था।
एक नजर राष्ट्रपति शासन के दौरान रहे राज्यपालों पर भी
पहली बार राष्ट्रपति शासन के समय सत्यनारायण सिह्ना मप्र के राज्यपाल रहे। उनके कार्यकाल को लेकर अलग-अलग किस्से भी राजनीति के गलियारों में सक्रिय रहे। दूसरी बार राष्ट्रपति शासन के दौरान सीएम पुनाचा राज्यपाल रहे। पुनाचा स्वयं 1952 से 1956 तक कुर्ग राज्य के मुख्यमंत्री रहे। बाद में कुर्ग राज्य का कर्नाटक में विलय हो गया। दो माह के कार्यकाल के बाद पुनाचा की जगह भगवतदयाल शर्मा को मप्र का राज्यपाल बना दिया गया था। शर्मा भी 1966 में हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री रह चुके थे। तीसरी बार के राष्ट्रपति शासन में पहले कुंवर मेहमूद अली खां के 6 माह के कार्यकाल के बाद मोहम्मद शफी कुरैशी को मप्र का राज्यपाल बनाया गया था।