पीसीबी के मीडिया विभाग ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘उमर अकमल पर जस्टिस (रिटायर्ड) फजल ए मीरान चौहान की अध्यक्षता वाली अनुशासन समिति ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में तीन साल का प्रतिबंध लगा दिया है।’ उमर लाहौर में राष्ट्रीय क्रिकेट अकैडमी में अनुशासन समिति के सामने पेश हुए थे।
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अकमल ने पिछले महीने ही इन आरोपों के खिलाफ अपील नहीं करने का फैसला किया था। उसके बाद मामला अनुशासन समिति को सौंप दिया गया था जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि उन पर छह महीने या एक साल का प्रतिबंध और जुर्माना लगाया जाएगा।
उमर को पाकिस्तान सुपर लीग के 2020 सत्र के पहले मैच से ठीक पूर्व निलंबित कर दिया गया था। वह पाकिस्तान के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज कामरान अकमल के छोटे भाई हैं। पीसीबी ने कहा है कि जस्टिस चौहान से और जानकारी मिलने के बाद वह इस बारे में विस्तार से बताएगा। उमर ने अकैडमी में हुई सुनवाई में अपना पक्ष खुद रखा जबकि पीसीबी की ओर से तफज्जुल रिजवी वकील थे।
पीसीबी निदेशक (भ्रष्टाचार निरोधक और सुरक्षा) आसिफ महमूद ने कहा, ‘पीसीबी को इसमें कोई खुशी नहीं मिल रही कि एक चमकता हुआ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर तीन साल के लिए खेल नहीं सकेगा लेकिन एक बार फिर यह उन लोगों के लिए सबक है जो यह सोचते हैं कि भ्रष्टाचार निरोधक संहिता तोड़ने पर वे बच जाएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘मैं सभी पेशेवर क्रिकेटरों से भ्रष्टाचार से दूर रहने की अपील करता हूं और उन्हें चाहिए कि सटोरियों द्वारा संपर्क किये जाने की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें।’
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान रमीज राजा ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मैच फिक्सिंग को अपराध का दर्जा देने का समय आ गया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘तो उमर अकमल भी आधिकारिक तौर पर मूर्खों की जमात में शामिल। तीन साल का प्रतिबंध। अपनी प्रतिभा को कैसे बर्बाद किया। पाकिस्तान को अब मैच फिक्सिंग को अपराध घोषित कर देना चाहिए और ऐसे लोगों को जेल में डालना चाहिए।’
उमर ने पाकिस्तान के लिए मैच आखिरी बार श्रीलंका के खिलाफ अक्टूबर में खेला था। वह 16 टेस्ट, 121 वनडे, 84 टी20 इंटरनैशनल मैच खेलकर क्रमश: 1003, 3194, 1690 रन बना चुके हैं। अपने करियर की प्रभावी शुरुआत करने वाले अकमल की अक्सर प्रशासकों से ठनती रही है। उन्होंने फरवरी में लाहौर स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में एक ट्रेनर को फिटनेस टेस्ट के दौरान कथित तौर पर अपशब्द भी कहे थे।