Rhea Drug Case: समझ‍िए रिया मामले की पेचीदगी, कैसे ड्रग्स की मात्रा तय करती है सजा

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नई दिल्ली

एनसीबी ने को ड्रग्स केस में गिरफ्तार कर लिया है। एनसीबी का आरोप है कि ड्रग्स सिंडिकेट का हिस्सा हैं हालांकि पूछताछ के लिए रिमांड नहीं मांगी गई और जमानत का विरोध किया गया। रिया केस पर एनडीपीएस (मादक पदार्थ निरोधक कानून) ऐक्ट के तहत दर्ज केस के बाद हुई गिरफ्तारी मीडिया की सुर्खियों में है। कानूनी जानकार बताते हैं कि ऐसे मामले में सबसे महत्वपूर्ण मादक पदार्थ के रिकवरी की क्वांटिटी होती है और उस पर काफी कुछ केस निर्भर करता है।

कौन से ड्रग्स की कितनी मात्रा ये है बेहद महत्वपूर्ण
दिल्ली के जानेमाने क्रिमिनल लॉयर राजीव मोहन बताते हैं कि एनडीपीएस ऐक्ट में एक शिड्यूल तय किया गया है कि कौन से मादक पदार्थ की कितनी मात्रा स्मॉल क्वांटिटी में आएगी और कितनी मात्रा कमर्शल क्वांटिटी में आएगी। ऐसे 238 सब्सटांस हैं जिनकी मात्रा परिभाषित है कि कितनी मात्रा स्मॉल क्वांटिटी और कितनी मात्रा कमर्शल क्वांटिटी में आएगी। मसलन कोकिन 2 ग्राम स्मॉल क्वांटिटी में आएगी वहीं 100 ग्राम कमर्शल क्वांटिटी में आएगी। इसके बीच की क्वांटिटी इंटरमिडियेट क्वांटिटी कही जाती है। हेरोइन की मात्रा अगर 5 ग्राम तक किसी के पास से मिले तो वह स्मॉल क्वांटिटी होगी और 250 ग्राम या उससे ऊपर मिले तो वह कमर्शल क्वांटिटी होगी इसके बीच इंटरमिडियेट क्वांटिटी कही जाती है। गांजा एक किलो ग्राम तक की रिकवरी स्मॉल क्वांटिटी होती है और 20 किलो या उससे ऊपर कमर्शल क्वांटिटी होती है। इसके लिए एनडीपीएस में एक पूरा चार्ट है। ऐसे में ड्रग्स और उसकी मात्रा काफी महत्वपूर्ण होता है कि कौन सी ड्रग्स कितनी रिकरवी हुई है उसके हिसाब से सजा का प्रावधान है।

स्मॉल क्वांटिटी में से सिर्फ छह महीने की सजा
एनडीपीएस मामलों को एक्सपर्ट विकास गुप्ता बताते हैं कि अगर ड्रग की मात्रा स्मॉल क्वांटिटी हो तो केस जमानती हो जाएगा, लेकिन क्वांटिटी कमर्शल यानी काफी ज्यादा हुई तो मामला गैर जमानती हो जाता है। एनडीपीएस की धारा 21, 25, 27 व 29 के तहत मामला दर्ज किया है। एनडीपीएस की धारा 21 के तहत प्रावधान है कि अगर कोई शख्स ड्रग्स खरीदे, बेचे और उसका वितरण करे तो 6 महीने से लेकर 20 साल तक कैद हो सकती है, लेकिन इसके लिए ड्रग की मात्रा महत्वपूर्ण है। अगर किसी ने कम मात्रा में ड्रग अपने पास रखी, खरीदी, वितरित की और साबित हो जाए तो वह स्मॉल क्वांटिटी के तहत एनडीपीएस की धारा-21 (ए) के तहत दोषी करार दिया जाता है। इस मामले में अभियुक्त को 6 महीने तक की सजा हो सकती है।

कमर्शल क्वांटिटी में 10 से लेकर 20 साल तक कैद
कानूनी जानकार राजीव कुमार मलिक बताते हैं कि अगर ड्रग्स की मात्रा स्मॉल से ज्यादा हो और कमर्शल से कम हो यानी इंटरमिडियेट क्वांटिटी का हो तो इस कैटगरी किसी ने ड्रग्स अपने पास रखे चाहे खुद के इस्तेमाल के लिए ही क्यों न हो, उसते बांटा या फिर बेचा तो ये बात साबित होने पर वह एनडीपीएस की धारा-21 (बी) के तहत दोषी करार दिया जाएगा। इस धारा के तहत अभियुक्त को 10 साल तक की सजा हो सकती है और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। जबकि कमर्शल क्वांटिटी रखने, खरीदने व बिक्री के लिए अभियुक्त को कम से कम 10 साल और ज्यादा से ज्यादा 20 साल तक की सजा हो सकती है। इस मामले में अभियुक्त पर 2 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है। वहीं एनडीपीएस की धारा-25 में प्रावधान है कि अगर कोई अपने घर का इस्तेमाल मादक पदार्श के इस्तेमाल के लिए कहता है तो सजा हो सकता है। इसके अलावा एनडीपीएस की धारा-27 के तहत तब मामला दर्ज होता है जब कोई मादक पदार्थ का सेवन करता है। इस मामले में अदिकतम एक साल तक की सजा का प्रावधान है। वहीं 27 ए गंभीर मामला है। इसके तहत प्रावधान है कि अगर कोई शख्स ड्रग्स का अवैध ट्रैफिकिंग करता है और अपराधियों को छुपाता है ड्रग्स कारोबार के लिए फंड मुहैया कराता है तो फिर ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर 10 से 20 साल तक की सजा हो सकती है।

ड्रग्स के अवैध ट्रैफिकिंग के मामले में मैटेरियल एविडेंस जरूरी
कानूनी जानकार विकास गुप्ता बताते हैं कि एनडीपीएस के अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सजा का प्रावधान है और उसी हिसाब से जमानत का भी प्रावधान है। अगर कोई स्मॉल क्वांटिटी के साथ पकड़ा जाए या ड्रग्स सेवन के मामले में पकड़ा जाता है तो जमानत मिल जाती है लेकिन कमर्शल क्वांटिटी की रिकवरी हो या फिर ड्रग्स कारोबार में लिप्त हो, ड्रग्स की अवैध ट्रैफिकिंग करता हो और उसके लिए वित्तीय सहायता करता हो तो मामले में 10 साल से 20 साल तक सजा का प्रावधान है। हालांकि इन तमाम आरोपों के पक्ष में अभियोजन पक्ष के पास मैटेरियल एविडेंस होना जरूरी है तभी मामला कोर्ट में टिक पाता है।

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