नई दिल्ली: Romance in Jail जेल में बंद कैदियों के लिए गुड न्यूज है। दिल्ली की जेलों में कैदियों को जल्द ही सलाखों के पीछे पति-पत्नी संग ‘रोमांस’ करने की मंजूरी मिल सकती है। दिल्ली सरकार जेल अधिकारियों की नजरों से दूर पति-पत्नी के मिलन अर्थात दांपत्य मुलाकात (Conjugal Visits In Prisons) को संभव बनाने की योजना बना रही है। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों की नजरों से दूर पति-पत्नी का मिलन एक ‘मौलिक अधिकार’ है। इस पर दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि जेल महानिदेशक ने जेलों में कैदियों को अपने जीवनसाथी संग दांपत्य मुलाकात का अधिकार दिए जाने के संबंध में गृह मंत्रालय (एमएचए) को एक प्रस्ताव भेजा है।
Romance in Jail दिल्ली सरकार ने कहा कि कई देशों द्वारा इस तरह के मिलन की अनुमति दिए जाने को ध्यान में रखते हुए जेल महानिदेशक ने कैदियों के जीवनसाथी से ‘मिलन’ के अधिकारों के बारे में राज्य के गृह विभाग को एक प्रस्ताव भेजा है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि इस पर आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी प्रस्ताव भेजा गया है। दांपत्य मुलाकातें निर्धारित मुलाकातें हैं, जिनमें एक कैदी को अपने कानूनी जीवनसाथी के साथ गोपनीयता में समय बिताने की अनुमति दी जाती है।
Romance in Jail चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने दिल्ली सरकार को उसकी सिफारिश के बाद के घटनाक्रमों से अवगत कराने के लिए उसे छह सप्ताह का समय दिया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले साल 15 जनवरी 2024 की तारीख तय की है। हाईकोर्ट 2019 में वकील अमित साहनी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली सरकार और जेल महानिदेशक को कैदियों के जीवनसाथियों संग मुलाकात के लिए जेलों में आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। हालांकि, इससे पहले, हाईकोर्ट ने मई 2019 में इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किए थे।
Romance in Jail
Romance in Jail जनहित याचिका में मांग की गई है कि अदालत राज्य के जेल नियम को निरस्त करे, जिसके तहत किसी कैदी के अपने जीवनसाथी से मिलते वक्त जेल अधिकारी की उपस्थिति जरूरी है। इसने अदालत से कैदी के अपने जीवनसाथी से मुलाकात को ‘मौलिक अधिकार’ घोषित करने का भी आग्रह किया है। हाल ही में हुई एक सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि अपने जीवनसाथी से मिलने की इच्छा रखने वाले कैदियों के इस अधिकार पर ‘उचित विचार-विमर्श के बाद’ जेल महानिदेशक द्वारा एक प्रस्ताव राज्य के गृह विभाग को भेज दिया गया है। दांपत्य मुलाकात चाहने वाले कैदियों के अधिकार पर उचित विचार-विमर्श के बाद प्रस्ताव को डीजी जेल द्वारा राज्य के गृह विभाग को भेज दिया गया था। डीजी जेल ने जुलाई 2019 में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि सीमित बुनियादी ढांचे के कारण वैवाहिक मुलाकात की अनुमति देना व्यावहारिक नहीं था।