शिमला: Samvida Employee Regularization हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बिल आधारित अस्थाई कर्मियों को भी दैनिक भोगी कर्मचारियों की तरह नियमित करने के आदेश पारित किए हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने राम सिंह के मामले में दिए अपने निर्णय में कहा कि प्रतिवादी वन विभाग अब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और बिल आधार पर काम करने वाले कर्मचारी के बीच जो अंतर पैदा कर रहा है, वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.
सभी कर्मचारी होंगे परमानेंट
Samvida Employee Regularization हाईकोर्ट ने कहा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हो या बिल आधारित कर्मचारी, वह विभाग को एक जैसी सेवा दे रहे हैं. इसलिए, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और बिल बेस कर्मचारी के बीच विभाग द्वारा जो वर्गीकरण किया गया है, वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 की कसौटी पर खरा नहीं उतर सकता. राज्य सरकार की दिनांक 22.04.2020 की नीति के अनुसार नियमितीकरण के अधिकार से प्रार्थी को केवल इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता है कि अब उसका नामकरण दैनिक वेतनभोगी नहीं, बल्कि बिल बेस कर्मचारी है. यदि याचिकाकर्ता नियमितीकरण के मानदंडों को पूरा करता है, तो, उसे भी नियमितीकरण प्राप्त करने का अधिकार है और इसे केवल उस नामकरण के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता है, जो अब प्रतिवादी द्वारा उसे सौंपा गया है.
Samvida Employee Regularization हाईकोर्ट ने सरकार को दिया आदेश
Samvida Employee Regularization प्रार्थी और प्रार्थी की तरह कार्य करने वाले कर्मियों के मामले में विभाग की ओर से हालांकि दो बार नियमितीकरण करने बाबत स्क्रीनिंग की गई. हर वर्ष 240 दिनों से अधिक कार्य करने के बावजूद उन्हें नियमित नहीं किया गया. अंततः प्रार्थी को हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करनी पड़ी. जिस पर यह अहम निर्णय आया है. हाईकोर्ट ने वन विभाग को निर्देश दिए कि वह प्रार्थी को राज्य सरकार की दिनांक 22.04.2020 की नियमितीकरण नीति के अनुसार छह सप्ताह की अवधि के भीतर वर्क चार्ज/नियमितीकरण प्रदान करें. हालांकि, प्रार्थी को दिए जाने वाले वित्तीय लाभ याचिका दायर करने की तारीख से तीन साल तक सीमित रहेंगे.