महासमुंद. shishupal mountain आप अगर ट्रैकिंग के शौकीन हैं, तो छत्तीसगढ़ के शिशुपाल पर्वत से ज्यादा खूबसूरत जगह कोई दूसरी नहीं हो सकती. प्रकृति की गोद में सुकून की तलाश करने वाले लोगों का इस पहाड़ पर चढ़ना किसी रोमांचक सफर जैसा है. बता दें कि ऐतिहासिक महत्व वाले इस 1200 फीट ऊंचे पहाड़ से राजा शिशुपाल ने घोड़े सहित छलांग लगा दी थी. स्वाभिमान से जुड़ी दास्तान वाला यह शिशुपाल पर्वत राजधानी रायपुर से करीब 157 किलोमीटर की दूरी और महासमुंद जिले के सरायपाली से करीब 28 किमी की दूरी पर स्थित है.
shishupal mountain शिशुपाल पर्वत पर प्राकृतिक सौंदर्य, एडवेंचर और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए लगभग 1200 फीट की सीधी चढ़ाई यादगार अनुभव बन जाती है. इस पहाड़ की चोटी पर बड़ा सा मैदान है, जो अपने आप में अनोखा है. वहीं, शिशुपाल पर्वत पर घोड़ाधार नाम का बेहद ऊंचाई से गिरने वाला एक झरना है. इसके अलावा पर्वत पर जन आस्था का केंद्र प्राचीन शिव मंदिर स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि इस पहाड़ पर जड़ी-बूटियों और कई औषधीय गुणों वाले पौधे पाए जाते हैं.
ऐसे पड़ा इस पहाड़ का नाम
shishupal mountain बताया जाता है कि इसी पहाड़ के ऊपर किसी समय राजा शिशुपाल का महल हुआ करता था. जब राजा को अंग्रेजों ने घेर लिया तब राजा ने अपने घोड़े की आंख पर पट्टी बांधकर पहाड़ से छलांग लगा दी थी. इसी कारण इस पहाड़ को शिशुपाल पर्वत और यहां के झरने को घोड़ाधार जलप्रपात कहा जाता है.
ट्रैकिंग के शौकीन बड़ी संख्या में आ रहे
shishupal mountain ट्रैकिंग के शौकीन रायपुर के प्रतीक सोनी ने बताया कि 4 लोगों का उनका ग्रुप शिशुपाल पर्वत पर ट्रैकिंग के लिए गया हुआ था. प्रकृति की सुंदरता और स्वच्छता भी शिशुपाल पर्वत पर देखने मिली. प्रतीक सोनी आगे बताते हैं कि लगभग 1 घंटे की चढ़ाई के बाद शिशुपाल पर्वत के ऊपर पहुंच गए थे. जबकि ट्रैकिंग करने के लिए उन्होंने सुबह का समय चुना था, ताकि समय रहते चढ़ाई की जा सके. दरअसल धूप में चढ़ाई करने में काफी दिक्कत होगी है.
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