नई दिल्लीः Stablecoins Gives More Profitable Cryptocurrency कुछ समय से लोगों के बीच investment का एक लोकप्रिय ऑप्शन बनकर सामने आया है. लोग और खासतौर पर युवा बड़ी संख्या में क्रिप्टोकरेंसी में अपना पैसा लगा रहे हैं. हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी और उससे जुड़े नाम अभी भी काफी लोगों के लिए बहुत जटिल तकनीक हैं और कई बार समझ न आने की वजह से ही लोग इसमें invest नहीं कर पाते या ऐसा करने से कतराते हैं। इनमें से एक ऐसा ही शब्द है स्टेबलक्वॉइन (stablecoin), जिसे समझा जाना बेहद ज़रूरी है. तो इस खबर के ज़रिए हम आपको बताएंगे कि क्रिप्टोकरंसी की दुनिया में स्टेबलक्वॉइन क्या होते हैं, इसके कितने प्रकार होते हैं और ये बाकी क्रिप्टोकरेंसीज़ से कितनी अलग है?
Stablecoins Gives More Profitable
क्रिप्टोकरेंसी को उसके उतार-चढ़ाव के लिए जाना जाता है. इसका मतलब है कि क्वॉइन्स की कीमतें कभी भी बढ़ और गिर सकती हैं. इससे investors के लिए किसी coin को चुनना बेहद मुश्किल हो जाता है. हालांकि, स्टेबलक्वॉइन इस मुश्किल का समाधान है. आइए इसके बारे में डिटेल में समझते हैं.
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Stablecoins क्या हैं?
Stablecoins भी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की ही तरह डिजिटल करेंसी होती हैं, पर इनकी वैल्यू दूसरे currencies की तरह ज़्यादा घटती-बढ़ती नहीं हैं, क्यों, क्योंकि इन्हें assets जैसे fiat करेंसी, दूसरी क्रिप्टोकरेंसी या सोने की बैकिंग प्राप्त होती है. इसे Pegging कहा जाता है. Stable Assets की मदद से इन क्वॉइन्स में ज्यादा उथल-पुथल नहीं होती है और इनकी कीमतें स्थिर रहती हैं. कुछ स्टेबलक्वॉइन अपनी वैल्यू को तुलनात्मक तौर पर स्थिर रखने के लिए computer algorithm का इस्तेमाल करते हैं. ये शुरुआती क्रिप्टो निवेशकों की जरूरत का नतीजा है, जिन्हें बेहद उतल-पुथल का सामना करना पड़ा.
Stableoins काम कैसे करते हैं?
स्टेबलक्वॉइन्स का फायदा है कि इन्हें इस तरह बनाया जाता है कि इन पर दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की तरह उतार-चढ़ाव का असर नहीं हो. इसके अलावा यह मोबिलिटी ऑफर करते हैं. यह ज्यादा स्थिर क्रिप्टोकरेंसी है, जो decentralized हैं. इसका मतलब है कि यह है कि इस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी किसी सेंट्रलाइज्ड सिस्टम या एजेंसी द्वारा रेगुलेट नहीं होते हैं. इससे इन्हें स्वतंत्रता मिलती है.
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Investors के बीच स्टेबलक्वॉइन्स के लोकप्रिय होने के कुछ दूसरे कारण भी हैं. इससे पैसों को ज्यादा तेजी के साथ ट्रांसफर किया जा सकता है. इसके साथ वित्तीय डेटा की प्राइवेसी भी मिलती है. इसके अलावा स्टेबक्वॉइन्स की मदद से फाइनेंशियल सर्विस फीस से भी बचा जा सकता है.
कई तरीकों से, स्टेबलक्वॉइन्स दूसरे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से अलग होते हैं. इन्हें इस तरीके से डिजाइन किया जाता है, जिससे इनकी वैल्यू में गिरावट ना हो. इसका मतलब ये है कि जहां एक तरफ इनकी वैल्यू में गिरावट नहीं आएगी, तो वहीं दूसरी तरफ, इसकी वैल्यू में बढ़ोतरी भी नहीं होगी. इसे USD क्वॉइन की बिटक्वॉइन से तुलना करके समझा जा सकता है. USD क्वॉइन अपनी शुरुआत से ही 1 डॉलर की वैल्यू से ज्यादा नहीं घटा या बढ़ा नहीं है. दूसरी तरफ, बिटक्वॉइन की वैल्यू 2019 में 4,000 डॉलर थी, जो मई 2021 तक 60,000 डॉलर तक पहुंच गई थी.
स्टेबक्वॉइन्स को डिजिटल कैश के एक तरीके के तौर पर भी देखा जा सकता है. हालांकि, स्थिरता के फाएदे के साथ यह एक क्रिप्टोकरेंसी ही है. इसलिए, यह एक नई चीज ही है, जिसमें कई ऐसे जोखिम हो सकते हैं, जिसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. इसिलिए हम आपको इसमें निवेश करने या ना करने की सलाह नहीं दे रहे। हमारा मकसद सिर्फ आपको स्टेबलकॉइन्स की जानकारी देना है।