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चेन्नई: teachers Will fired from jobs कुछ समय पहले ही कई राज्यों ने शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी पास सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया है। लेकिन मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले ने नौकरी कर रहे शिक्षकों की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल हाई कोर्ट ने एक अहम मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि जो शिक्षक टीईटी यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा पास नहीं हैं, उन्हें सेवा में बने रहने यानी सरकारी नौकरी करने का हक नहीं है।
जस्टिस डी कृष्णकुमार की पीठ ने सुनाया फैसला
teachers Will fired from jobs मामले में उच्च न्यायालय की जस्टिस डी कृष्णकुमार की पीठ ने रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एक बैच को खारिज करने का फैसला सुनाया। पीठ ने संबंधित अधिकारियों को स्कूल शिक्षा सचिव द्वारा दो मई, 2019 के पत्र के माध्यम से जारी निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास नहीं करने वाले शिक्षकों को सेवा में जारी नहीं रख सकते।
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सेवा में बने रहने का हकदार नहीं
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारी हर साल एक बार टीईटी परीक्षा आयोजित करके फरवरी, 2021 में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की सख्त अनुपालना सुनिश्चित कराएंगे, ताकि शिक्षकों को खुद को योग्य बनाने का अवसर मिल सके। पीठ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि 2009 में आरटीई अधिनियम लागू होने के कई वर्षों के बाद भी, इन नियमों का पालन नहीं किया गया, साथ ही याचिकाकर्ताओं और अन्य शिक्षकों को भी न्यूनतम पात्रता शर्त यानी टीईटी क्वालीफाई नहीं होने के बिना भी सेवा में रखने की अनुमति दी हुई है। यह खेदजनक है।
निकाले जाएंगे नौकरी से?
टीईटी, अधिनियम की धारा-23 के अनुसार और आरटीई (संशोधन अधिनियम) 2017 के अनुसार भी, जिन शिक्षकों के पास 2019 आरटीई अधिनियम से पहले टीईटी पास करने की न्यूनतम योग्यता नहीं थी, उनके लिए नौ साल के भीतर यानी 31 मार्च, 2019 के भीतर इसे हासिल करना अनिवार्य है। इसके आधार पर हाईकोर्ट ने कहा, ऐसे शिक्षक जिनके पास टीईटी में पास की न्यूनतम योग्यता नहीं है, वे स्कूलों/ शैक्षणिक संस्थानों में अपनी सेवा जारी रखने के हकदार नहीं हैं।
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पीठ ने याचिकाओं को किया खारिज
इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने एकके वासुदेवन और आठ अन्य लोगों की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन याचिकाओं के माध्यम से बिना टीईटी पास शिक्षकों के लिए 2012 से वार्षिक वेतन वृद्धि के साथ-साथ बीएससी हासिल करने के लिए प्रोत्साहन वृद्धि और अन्य लाभों को मंजूरी देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।