बलरामपुर:- छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में 109 साल तक लम्बा इंतजार करने के बाद आखिरकार एक शहीद को अंतिम संस्कार नसीब हो पाया ,इसी के साथ यह घटना इतिहास में शामिल हो गई। दरअसल एक सदी पहले अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लागुड़ नगेसिया को अंग्रेजो ने मौत की सजा दी थी। मौत के 109 साल बाद भी उनका कंकाल एक स्कूल में रखा हुआ था ,जिसका स्थानीय विधायक की पहल के बाद अंतिम संस्कार किया गया।
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ने वाले क्रन्तिकारी थे लागुड़ नगेशिया मिली जानकारी के मुताबिक अंग्रेजों ने छत्तीसगढ़ के मौजूदा बलरामपुर जिले के सामरी में रहने वाले लागुड़ नगेशिया अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ने वाले एक क्रन्तिकारी थे। 1913 में ब्रिटिश काल के खिलाफ आंदोलन करने की वजह से अग्रेजों ने उन्हें खौलते तेल में तलकर उनकी अस्थियों को एक स्कूल में रखवा दिया था, उनके परिजन बीते 109 सालों से अंतिम संस्कार के लिए अस्थियां मांग रहे थे जिसे स्थानीय विधायक चिंतामणि महाराज और जिला प्रशासन के सहयोग से बाहर निकाकर अंतिम संस्कार किया गया।
इस स्कूल में रखी गई थी अस्थियां
वहीं अम्बिकापुर के जिस मल्टीपर्पज स्कूल के प्रयोगशाला में लागुड़ की अस्थियां रखी गई थी उस स्कूल के प्राचार्य एचके जायसवाल का कहना है कि जो अस्थियां स्कूल में रखी गई थी वो किसकी थी, इससे सम्बंधित किसी प्रकार के दस्तावेज प्रबंधन के पास नहीं है। कलेक्टर सरगुजा व कलेक्टर बलरामपुर के निर्देश के बाद नागेसिया समुदाय को अस्थियां दे दी गई है। बहरहाल यह कहना गलत नहीं होगा कि अंग्रेजी हुकूमत को मुंहतोड़ जवाब देने वाले लागुड़ नगेशिया की आत्मा को 109 साल बाद शांति मिली है।
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