नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की ट्रेन को चलता-फिरता किला कहा जाता है. इसमें किम जोंग की चाक-चौबंद सुरक्षा के साथ ही हर तरह की सुख-सुविधाओं का भी खास ध्यान रखा गया है. इस खास ट्रेन में ट्रेन होस्टेस का काम चीयरलीडर्स की टीम करती है. इन्हें खास अभियान के जरिये नियुक्त किया जाता है.
उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन अपनी अजीबोगरीब सनक और चीजों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. किम जोंग की सनक के साथ ही उनकी ट्रेन को लेकर भी चर्चा होती रहती है. उनकी खास ट्रेन को चाक-चौबंद सुरक्षा के कारण चलता-फिरता किला भी कहा जाता है. इसमें ऐशोआराम की सारी सुविधाएं भी मौजूद हैं. ट्रेन में परिचायिकाओं का काम चीयरलीडर्स की टीम करती है. इस टीम को खास अभियान के जरिये तलाश कर नियुक्त किया जाता है. कहा जाता है कि इस ट्रेन पर खाने पीने से लेकर मनोरंजन तक विलासिता का हर सामान मौजूद होता है.
किम जोंग कहीं भी जाते हैं तो इसी ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं. वह अपने पिता की ही तरह हवाई यात्रा करने से डरते हैं. उत्तर कोरिया के शासक रहे उनके दादा किम इल सुंग और पिता किम जोंग इल भी ट्रेन से ही यात्राएं करते थे. बता दें कि ये लग्जरी ट्रेन सोवियत संघ के शासक रहे स्टालिन ने किम फैमिली को गिफ्ट किया था. तब से ये उत्तर कोरिया के शासकों की शाही ट्रेन बनी हुई है. इस ट्रेन पर बाहर से हरे और पीले रंग का पेंट किया गया है. वहीं, अंदर से ये ट्रेन चमकदार सफेद रंग की है. इस ट्रेन में ब्रीफिंग के लिए टेबल और फ्लैट स्क्रीन मॉनिटर भी लगे हैं.
किम जोंग की शाही ट्रेन में हैं कुल 90 बोगियां
रूस के एक पूर्व अधिकारी कांस्टेटिन पुलिकोव्स्की ने किम जोंग उन की इस शाही ट्रेन को लेकर ‘ओरिएंट एक्सप्रेस’ नाम से एक किताब लिखी है. किताब में इस ट्रेन के बारे में बहुत सी जानकारियां दी गई हैं. कांस्टेटिन लिखते हैं कि ट्रेन में हर तरह की स्वादिष्ट डिश परोसी जाती हैं. किम जोंग की यात्राओं के दौरान ट्रेन में पेरिस की शराब, झींगा मछली और पोर्क की व्यवस्था की जाती है. दक्षिण कोरियाई अखबार चोसुन इल्बो ने 2009 में खुफिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए एक लेख प्रकाशित किया था, जिसके मुताबिक ट्रेन में 90 डिब्बे हैं. ट्रेन में किम जोंग की मर्सिडीज कारें भी साथ ले जाई जाती हैं. उनसे पहले उनके पिता किम जोंग इल की कारें भी इसी ट्रेन से जाई जाती थीं.
क्या है ट्रेन पर काम करने वाली प्लेजर ब्रिगेड
कांस्टेटिन की किताब के मुताबिक, ट्रेन में यात्रियों का मनोरंजन करने के लिए युवा चीयरलीडर्स रहती हैं. किम जोंग उन्हें महिला कंडक्टर के तौ पर पेश करते हैं. उन्हें प्लेजर ब्रिगेड के तौर पर भी जाना जाता है. इसके लिए पूरे उत्तर कोरिया से खूबसूरत लड़कियां छांटी जाती हैं. इनके लिए शर्त रहती है कि नियुक्ति पाने के लिए इन लड़कियों को वर्जिन होना चाहिए. डॉक्टर्स की एक टीम इसके लिए आवेदन करने वाली लड़कियों की जांच भी करती है. इस ट्रेन पर प्लेजर ब्रिगेड में काम करने वाली वर्जिन लड़कियों को मोटी सैलरी दी जाती है. उत्तर कोरिया में 2015 में लंबी, पतली और खूबसूरत लड़कियों की तलाश करने के लिए एक अभियान चलाया गया था. इनका काम ट्रेन में किम जोंग उन की खातिरदारी करते रहना है. इन्हें 3000 डॉलर से ऊपर की सैलरी दी जाती है. वहीं, पश्चिमी मीडिया की नजर में ये किम जोंग उन की सेक्स स्लेव होती हैं.
कम रफ्तार है कमी, तो सुरक्षा है अभेद
किम जोंग उन की इस ट्रेन की रफ्तार बेहद कम है. बताया जाता है कि ये ट्रेन 40-50 किमी प्रति घंटा से ज्यादा रफ्तार नहीं पकड़ पाती है. जबकि, इसकी अधिकतम स्पीड 60 किमी प्रति घंटा है. धीमी गति के लिए ट्रेन के जरूरत से ज्यादा वजन को जिम्मेदार माना जाता है. ये ज्यादा वजन ट्रेन पर लगाए गए अतिरिक्त कवच के कारण होता है. किम जोंग उन के आवासीय और आधिकारिक कामों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बोगियों में अतिरिक्त बख्तरबंद चादरें लगाई गई हैं. ट्रेन के सफर पर रहने के दौरान करीब 100 सुरक्षा एजेंटों को किसी भी खतरे से निपटने के लिए रास्ते के सभी स्टेशनों पर पहले से भेजा जाता है. यही नहीं, इस ट्रेन को बिना रुके सफर पूरा करने के लिए दूसरी ट्रेनों को रोक दिया जाता है. ट्रेन के साथ वायुसेना के परिवहन विमान और एमआई-17 हेलीकॉप्टर की सेवाएं भी ली जाती हैं. ट्रेन के अगल बगल या आगे पीछे तीन हाईसेक्युरिटी ट्रेन चलती हैं.