UP शेल्टर: तो बच्चियां कोरोना से बच जातीं!

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सुमित शर्मा, कानपुर
कानपुर के सरकारी बालगृह में बच्चियों के कोरोना संक्रमित होने के मामले में कई सवाल उठ रहे हैं। क्या प्रशासन ने समय रहते बच्चियों को आइसोलेट नहीं किया? क्या बच्चियों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सकता था? अब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (यूपीएससीपीसीआर) की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने भी माना है कि कहीं न कहीं बड़ी चूक हुई है। इसी वजह से राजकीय बाल गृह में 57 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं।

उन्होंने कहा कि अगर पहले पॉजिटिव केस के साथ ही बालगृह की लड़कियों को क्वारंटीन करा दिया जाता तो आज स्थिति इतनी खराब नहीं होती। बीते 14 जून को पहली लड़की में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने बालगृह की लड़कियों के सैंपल लिए थे। इनकी रिपोर्ट तीन दिनों में आई थी। 17 जून को 33 लड़कियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद 18 जून को 17 पॉजिटिव और 19 जून को 8 लड़कियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। सीएमओ ने सभी की रिपोर्ट आने के बाद 20 जून को पॉजिटिव लड़कियों को कोविड-19 अस्पताल भेजा था। जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी, उन्हें क्वारंटीन सेंटर में भेजा गया था।

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स्वरूप नगर स्थित राजकीय बालगृह में एक महिला स्टाफ समेत 57 लड़कियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। इनमें से 5 कोरोना पॉजिटिव लड़कियां गर्भवती भी हैं। इस पूरे मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान में लिया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री के आदेश पर यूपीएससीपीसीआर की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी कानपुर पहुंचीं। उन्होंने साफ किया है कि बालगृह की किसी भी लड़की में एचआईवी पॉजिटिव और हेपेटाइटिस-सी की पुष्टि नहीं हुई है।

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14 जून को मिली थी पहली संक्रमित लड़की
इस बीच राजकीय बालगृह में कानपुर स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। अगर सीएमओ अशोक शुक्ला सक्रियता दिखाते तो बाहगृह में इतनी बड़ी संख्या में लड़कियां संक्रमित नहीं पाई जातीं बालगृह की एक लड़की बुखार से पीड़ित थी। इसके बाद स्टाफ ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। डॉक्टरों ने लड़की का कोरोना टेस्ट कराया और 14 जून को लड़की की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने बालगृह में रहने वाली लड़कियों और स्टाफ के सैंपल लिए गए थे।

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3 दिन रिपोर्ट का इंतजार, संक्रमित रहीं एक साथ
राजकीय बालगृह की पहली रिपोर्ट बीते 17 जून को आई थी जिसमें 33 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी । यदि स्वास्थ्य विभाग पहली रिपोर्ट आने के साथ 33 संक्रमित लड़कियों को कोविड-19 हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिया जाता तो बालगृह की और लड़कियां संक्रमित होने से बच जातीं। इसके बाद 18 जून को आई रिपोर्ट में 17 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव मिलीं। 19 जून को 8 लड़कियों की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली थी। 19 जून तक बालगृह में कोरोना पॉजिटिव लड़कियों की संख्या 57 पहुंच गई थी। इसके बाद कानपुर स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी और संक्रमित लड़कियों को रामा मेडिकल कॉलेज के कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाकी लड़कियों को क्वारंटीन सेंटर भेजा गया था।

राजकीय बालगृह कैसे पहुंचा संक्रमण?
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने अधिकारियों से इस बात पर भी चर्चा की है कि बालगृह तक संक्रमण कैसे पहुंचा। आयोग की सदस्य के मुताबिक बीते 9 और 12 जून को दो बच्चियों की डिलिवरी हुई थी। एक महिला कर्मचारी बच्चियों को अस्पताल लेकर आती-जाती थी। कायदे से महिला कर्मचारी को क्वारंटीन किया जाना चाहिए था, लेकिन यह काम नहीं किया गया। इसी वजह से संक्रमण फैलने की अशंका जताई जा रही है।

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