टेस्ट डेब्यू के बाद उन्हें टी 20 टीम में भी चुन लिया गया है और जल्द ही वे वनडे टीम का भी हिस्सा बन सकते हैं. सफल व्यक्तियों की कई कहानिया भी सफलता के बाद तैरने लगती हैं उनमें कुछ सच्ची होती हैं और कुछ को गढ़ा जाता है. यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) के बारें में भी एक कहानी गढ़ी गई है. आईए जानते हैं उस कहानी और उसकी सच्चाई के बारे में…

यशस्वी की कौन सी कहानी में चर्चा में है?

Yashasvi Jaiswal
Yashasvi Jaiswal

इसमें कोई दो राय नहीं कि यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) एक बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं और भारतीय क्रिकेट टीम तक का उनका सफर संघर्ष और सफलता की एक मिसाल है. उनके पिता ने मुंबई में गोल गप्पे बेचकर उन्हें क्रिकेटर बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है. कहा ये भी जाता है कि क्रिकेट से समय मिलने के बाद यशस्वी जायसवाल भी गोलगप्पे बेचा करते थे. इस खिलाड़ी के जीवन की ये कहानी हमेशा सुर्खियों में रही है लेकिन उनके बचपन के कोच ने यशस्वी ये जुड़ी इस कहानी की सच्चाई बताई है.

क्या कहा ज्वाला सिंह ने?

यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) के बचपन के कोच हैं ज्वाला सिंह. वे क्रिकेटर और उनके परिवार को भली भांति जानते हैं. हाल ही में उन्होंने एक बयान देते हुए यशस्वी जायसवाल के गोलगप्पे बेचने वाली कहानी की सच्चाई बताई है. ज्वाला सिंह ने कहा, ‘यशस्वी जायसवाल जब सिर्फ 16 साल का था तो स्टार स्पोर्ट्स को दिए एक इंटरव्यू में उसने अपने गोलगप्पे बेचने वाली कहानी सुनाई थी तथा टेंट में रहने का जिक्र था लेकिन इस कहानी में सिर्फ 5 प्रतिशत सच्चाई है. जब से वो मेरे पास ट्रेनिंग के लिए आया तब से उसकी सारी समस्याएं खत्म हो गई. बिना सुविधाओं के कोई भी व्यक्ति आज के दौर में एक प्रोफेशनल क्रिकेट नहीं बन सकता.’

Yashasvi Jaiswal childhood coach Jwala Singh

Yashasvi Jaiswal ज्वाला सिंह का योगदान

यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) को क्रिकेटर बनाने में उनके कोच ज्वाला सिंह का बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने कहा, ‘पिछले 9 साल से वे इस खिलाड़ी के साथ मेहनत कर रहे हैं साथ ही क्रिकेट से जुड़ी तमाम सुविधाएं उन्हें मुहैया करा रहे हैं. आज की तारीख में बिना सुविधाओं के क्रिकेटर बनना बहुत मुश्किल है. वो जिस तरह क्रिकेट खेलता है वो बिना बेहतर ट्रेनिंग के संभव नहीं है.’ 

Yashasvi Jaiswal childhood coach Jwala Singh