इस वक्त क्रिकेट में मई-जून में इंग्लैंड में होने वाले आईसीसी वर्ल्ड कप का शोर सुनाई दे रहा है और दुनियाभर की टीमें अपने सर्वश्रेष्ठ 15 खिलाड़ियों को चुनने की कवायद में लगी हैं. जबकि इस दौड़ में शामिल भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया से पांच वनडे मैचों की सीरीज में 3-2 से हराकर सोचने पर मजबूर कर दिया है. हालांकि टीम इंडिया के लिहाज से देखें तो ये हार ‘लकी’ भी साबित हो सकती है और ऐसा ही इशारा आंकड़े भी कर रहे हैं. जी हां, एरॉन फिंच की कंगारू टीम से सीरीज हारने के बाद टीम इंडिया के वर्ल्ड कप जीतने के आसार बढ़ गए हैं, क्योंकि टीम इंडिया ने दो बार वर्ल्ड चैंपियन बनने से पहले इसी तरह वनडे सीरीज गंवाई थी. जबकि एक बार वह फाइनल में हार गई थी.
बहरहाल, साल 1983 में वर्ल्ड कप से ठीक पहले हुई वनडे सीरीज 2-1 से हारी थी और फिर भारतीय टीम ने कपिल देव की कप्तानी ने पहली बार वर्ल्ड कप जीतकर क्रिकेट वर्ल्ड में तहलका मचा दिया. इसके बाद उसने 2003 वर्ल्ड कप से पहले न्यूजीलैंड के हाथों हार झेली और लगातार 8 मैच जीतकर वर्ल्ड कप फाइनल में जगह बना ली, जहां उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार मिली. जबकि इसके बाद साल 2011 में भी कुछ ऐसा ही हुआ. भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप से ठीक पहले 3-2 से सीरीज गंवाई और धोनी की कप्तानी में भारत 28 साल बाद वर्ल्ड चैंपियन बना. अब एक बार फिर वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम वनडे सीरीज हारी है. संभव है कि यह हार विराट कोहली और टीम इंडिया के लिए ‘लकी’ साबित हो.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के आगाज के साथ ही कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि हम अपनी वर्ल्ड कप टीम बनाने के इरादे से मैदान में होंगे और इस दौरान टीम में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं. सच कहा जाए तो वर्ल्ड कप के लिए विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा, शिखर धवन, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, कुलदीप यादव, केदार जाधव आदि नाम तकरीबन तय हैं. लेकिन इस दौरे से पहले रिषभ पंत को लेकर बहुत चर्चा थी, क्योंकि वनडे टीम में दिनश कार्तिक को जगह ना मिलने के कारण उन्हें अनुभवी धोनी का बैकअप माना जा रहा था. वैसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों में मिले मौके पर पंत बल्लेबाज़ और विकेटकीपर के रूप में कोई खास दमदार प्रदर्शन नहीं कर सके हैं और अभी लगता है कि उनमें सुधार की बहुत जरूरत है.
अगर टीम के मिडिल ऑर्डर की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार के बाद साफ हो चला है कि हार्दिक पंड्या टीम इंडिया की खास जरूरत हैं. जबकि विजय शंकर ने गेंद और बल्ले से आशातीत प्रदर्शन कर कुछ दम दिखाया है, लेकिन रवींद्र जडेजा की बतौर ऑलराउंडर नाकामी उन्हें वर्ल्ड कप से बाहर कर सकती है. जबकि दिल्ली वनडे में बतौर बल्लेबाज़ उनके पास खुद को साबित करने का मौका था, लेकिन वह नाकाम रहे. वहीं कुलदीप यादव और चहल की जगह अब पक्की हो चली है.
जबकि नंबर 4 की पहली फिर से उलझ गई है, क्योंकि इस सीरीज के शुरू होने से पहले अंबाती रायडू को इस पोजीशन का स्थापित बल्लेबाज़ माना जा रहा था और उनकी पहले तीन मैचों में नाकामी ने कप्तान कोहली की परेशानी बढ़ा दी है. जब रायडू बेदम साबित हुए तब कोहली ने टी20 सीरीज में दम दिखाने वाले केएल राहुल पर दांव खेला, लेकिन उन्हें सिर्फ एक मैच खेलने का मौका मिला और 26 रन ही बना सके. क्या इन दोनों को वर्ल्ड कप टीम में जगह मिलेगी या फिर किसी का पत्ता कटेगा, यह तो वक्त ही बताएगा.
सच कहा जाए गेंदबाजों को लेकर कप्तान कोहली ज्यादा परेशान नहीं हैं. जसप्रीत बुमराह टीम इंडिया के स्टार गेंदबाज़ हैं तो शमी की क्षमता पर भी कोई शक नहीं है. वहीं अपनी स्विंग गेंदबाजी से बल्लेबाजों को परेशान करने वाले भुवनेश्वर कुमार ने गेंदबाज़ी के साथ लॉअर ऑर्डर में बल्लेबाजी करके अपना दम दिखाया है. जबकि दिल्ली वनडे उनकी ऑलराउंड क्षमता का ताजा उदाहरण है. इसके अलावा इस तिकड़ी को हार्दिक पंड्या और विजय शंकर का साथ मिल सकता है और यही बात वर्ल्ड कप में भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
वैसे ऑस्ट्रेलिया से हारना भारतीय टीम के लिए जागने का समय है. जबकि आईपीएल के दौरान भारतीय टीम मैनेजमेंट किस तरह खिलाड़ियों के वर्क लोड पर काम करता है, यह देखने वाली बात होगी. यकीनन पूरी तरह से फिट भारतीय टीम वर्ल्ड कप का आगाज एक तगड़े दावेदार के रूप में करने का ना सिर्फ दम रखती है बल्कि इतिहास पर नजर डालें तो ऑस्ट्रेलिया के हाथों मिली हार उसके लिए ‘लकी’ भी साबित हो सकती है. क्या पता ‘विराट सेना’ वर्ल्ड कप से चैंपियन बनकर लौटे!