भोपाल: मध्य प्रदेश में बिजली की अघोषित कटौती पर सियासत तेज़ हो गयी है. ये समस्या केवल जनता के लिए ही नहीं बल्कि सरकार के लिए भी सिर दर्द बन चुकी है. अब इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ एक्शन मोड में आए हैं.
राहत के ट्वीट से आफत – प्रदेश में कॉग्रेस सरकार लंबे समय बाद आई है.मध्यप्रदेश को सरप्लस बिजली उत्पादन का दर्जा प्राप्त है बावजूद इसके ना तो बिजली का सहीं मेंनटेनेंस हो पा रहा है ना ही बिजली की दर में कमी आई है.राहत इंदौरी के ट्वीट के बाद मामले पर सियासी पारा कुछ ज्यादा ही चढ़ गया है.
कवि इंदौरी ने सरकार से मांगी राहत
अघोषित बिजली कटौती से परेशान होकर इंदौरी ने मुख्यमंत्री से मदद मांगी.इसके बाद से जैसे बीजेपी ने सरकार को घेरे में ले लिया और सोशल मीडिया महाभारत के मैदान में बदल गया.सीएम ने मामले पर ध्यान देते हुए कहा कि अब वे खुद विद्युत वितरण और शिकायतों के काम की मॉनिटरिंग करेंगे और समय-समय पर जिम्मेदार अधिकारियों से रिपोर्ट भी लेंगे.
मंगलवार को बैठक-प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आ रही ऐसी खबरों के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अहम बैठक बुलाने वाले हैं. इसमें अलग-अलग बिजली कंपनियों के आला अफसर और अधिकारी मौजूद रहेंगे.मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए निर्देश दिए कि, सरप्लस बिजली होने के बाद प्रदेश के कई हिस्सों से बिजली गुल व कटौती के मामले सामने क्यों आ रहे हैं? इस तरह के मामले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. जिम्मेदार अधिकारी स्थिति में सुधार लाएं वरना कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें.
गुल रही बिजली
रविवार को कई जगह घंटों बिजली गुल रही. इसकी शिकायत पूरे प्रदेश से सीएम तक पहुंची है.मध्य प्रदेश में रविवार को कई जगह आंधी और बारिश के बाद घंटों बिजली गुल और अघोषित कटौती के मामले सामने आए थे. इस पर मुख्यमंत्री ने कड़ी नाराजगी दिखाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार भी लगाई.साथ ही नाराज़गी जताई कि किसी भी प्रकार के फॉल्ट और तकनीकी खामी के कारण अगर बिजली वितरण में व्यवधान होता है तो ये समझा जा सकता है. लेकिन बिना किसी वजह के अगर बिजली गुल रहती है या बिजली कटौती की जाती है तो वो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
अफसरों को निर्देश
अफसरों को निर्देश दिए हैं कि आम उपभोक्ताओं को 24 घंटे और खेती के लिए कम से कम 10 घंटे बिजली दी जाए.इससे पहले ग्वालियर में शनिवार को बिजली कटौती पर मंत्री की नाराजगी भी सामने आई थी.जब कॉग्रेस की ही सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर बिजली घर पहुंच गए थे.मंत्री ने बिजली घर पहुंचकर बिजली अधिकारियों को फटकार तक लगा डाली थी.बिजली कटौती की समस्या से मंत्री इतने परेशान हुए की अधिकारियों को मौके पर ही चेतावनी देते हुए कह डाला कि आखिर कौन सा कारण है, जिस वजह से बार-बार बिजली हो रही है. अगर अब कटौती हुई तो कार्रवाई के लिए तैयार रहो.
शट डाउन होगा
बिजली कटौती की बढ़ती शिकायतों के बाद ऊर्जा विभाग ने 25 जून तक नियोजित शट डाउन पूरा करने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश के अपर मुख्य सचिव ऊर्जा आइ सी पी केशरी ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कर तीनों विद्युत वितरण कम्पनी के प्रबंध संचालकों को निर्देश दिए. साफ -साफ कहा गया है कि शट डाउन सुबह 6 बजे से पहले कर लिया जाए और इसकी जानकारी लोकल अफसरों और नेताओं को भी दी जाए. उन्होंने इस बात पर नाराज़गी जताई कि आठ-दस महीने से प्रदेश में कहीं भी मेंटेनेंस नहीं किया गया है.
विपक्ष ने मांगा इस्तीफ़ा
बीजेपी इसे मुद्दा बना रही है. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सरकार के इस्तीफे की मांग तक कर डाली है. उन्होंने सरकार पर बिजली बेचकर ख़ज़ाना भरने का आरोप लगाया.
एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक सुखवीर सिंह के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष अप्रैल और मई में पिछले साल की तुलना में इस साल लगभग 70 करोड़ यूनिट (12 प्रतिशत) अधिक बिजली सप्लाई की गई. इस दौरान प्रदेश में बिजली की मांग में भी औसतन 12 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई. मॉनसून को ध्यान को देखते हुए प्रदेश के सभी क्षेत्रों में प्रत्येक फीडर का मेंटेनेंस किया जाना है.
बिजली की कमी नहीं – सुखवीर सिंह ने कहा प्रदेश में बिजली की कमी नहीं है. इस साल 14,000 मेगावाट से अधिक की मांग थी जो पूरी की गयी. अभी प्रदेश में बिजली की अधिकतम मांग 9500 मेगावाट है जो पिछले साल 8600 मेगावाट से ऊपर थी.
सुखवीर सिंह ने कहा कि मॉनसून के दौरान बिजली की निर्बाध सप्लाई के लिए सभी फीडर का मेंटेनेंस किया जा रहा है. उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वो सहयोग और संयम बनाए रखें.