मानवता की हत्या: शव को नहीं मिला कंधा तो मजबूर हुए बेटे, ठेले में लादकर पहुंचाया मुक्तिधाम

1 min read

उत्तर प्रदेश: देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण बेकाबू होते जा रहा है। दूसरी ओर मौत के आंकड़ों ने लोगों को डरा कर रखा है। इस महामारी ने न सिर्फ लोगों की जान ले रहा है बल्कि मानवता की हत्या भी कर रहा है। ऐसा ही घटना उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में देखने को मिला है, जहां मौत के बाद लोगों ने अर्थी को कधां देने से भी डर रहे है।

शव को कंधा नहीं मिल पाने से लोग अर्थी को ठेला, ऑटो और लोडर में श्मशान घाट पहुंचाने में मजबूर हो गए है। ठेले पर शव को श्मशान घाट ले जाने की ये तस्वीर हमीरपुर जिले के मुक्तिधाम की है। गुरुवार को एक शख्स की बुखार आने के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मौत की सूचना के बाद भी काफी देर तक कोई परिजन, रिश्तेदार या पड़ोसी उनके घर नहीं आए। इसके बाद मृतक के दोनों पुत्रों ने हाथ ठेला मंगवा कर पिता के शव को उस पर रखकर श्मशान घाट ले गए।

हमीरपुर जिला मुख्यालय के दोनों तरफ सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर यमुना और बेतवा नदी बहती है और दो नदियों के बीच में यह शहर बसा हुआ है। इन दोनों नदियों के किनारे सैकड़ों गांव बसे हुए हैं। नदियों के किनारे इन गांवों में आजकल किसी की भी मृत्यु होने पर शवों को नदी में प्रवाहित कर देते हैं। कोरोना काल में गांवों में बड़ी तादाद में लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें हो रही है जिनको लोग नदियों में बहा दे रहे हैं जिससे नदियों में शवों की बाढ़ सी आ गई है। लोग किसी के अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं होते जिस वजह से ऐसी परिस्थिति सामने आ गई है।

इस मामले पर समाजसेवी आदित्य त्रिपाठी ने बताया कि शवों को नदियों में प्रवाहित करने के पीछे दो मुख्य कारण है। एक तो कोरोना का खौफ जिसके चलते लोग शव यात्रा में शामिल नहीं हो रहे हैं और दूसरा बड़ा कारण है गरीबी और महंगाई।

उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में लोगों के पास खाने के लाले हैं। इन दिनों अंतिम संस्कार के लिए मिलने वाली लकड़ी और प्रयोग होने वाली अन्य सामग्री भी बहुत महंगी हो गई है। ग्रामीण को शवों का अंतिम संस्कार ना कर जल में प्रवाह करना ज्यादा सहज और सुलभ लगता है।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours