हिंदी की ये किताबें पसंद हैं हिंदी सिनेमावालों को, कोई है प्रेमचंद का प्रशंसक तो कोई दिनकर का दीवाना

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हिंदी सिनेमा की कहानियां हमेशा से समाज को प्रतिबिंबित करती आई हैं। के विशेष अवसर पर हमने जाने-माने कलाकारों से जानना चाहा उनकी प्रिय हिंदी किताबों और लेखकों के बारे में। कई रोचक यादें ताजा हो गईं।

पढ़ते वक्त लगा जैसे मेरी कहानी है
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता पंकज त्रिपाठी कहते हैं, ‘मैं तो एक तरह से किताबी कीड़ा हूं। अगर फिलहाल की बात करूं, तो जो किताब मैंने एक हफ्ते पहले पढ़कर खत्म की है, वह अनुराग पाठक की लिखी हुई है। जिसका नाम है ‘ट्वेल्थ फेल’ यह बहुत ही प्रेरणादायक है। इस में बताया गया है कि मुरैना का मनोज शर्मा कैसे 12 वीं कक्षा में फेल होता है और फिर आगे चलकर कैसे आईपीएस अधिकारी बनता है। पुलिस विभाग में कार्यरत मनोज शर्मा की जिंदगी के सफर पर आधारित है ये कहानी। वे महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस ऑफिसर हैं। इसे पढ़ते वक्त कई बार ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी ही कहानी है,क्योंकि यह ग्रामीण भारत से संबंधित है, वहीँ से मैं भी आता हूं। कैसे गांव का एक आदमी निकल कर मेहनत करता है, ग्वालियर से दिल्ली आता है। मैं भी गांव से पटना फिर वहां से दिल्ली आया। सलाह दूंगा कि हिंदी के पाठक इस कहानी को जरूर पढ़ें। मेरे प्रिय लेखक फणीश्वरनाथ रेणु, श्रीलाल शुक्ल, कवि दुष्यंत कुमार और कवि पाश हैं। इन नामों के अलावा औरभी कई सारे लेखक हैं, जिन्होंने मुझे प्रेरणा दी है। जिनका लेखन और कविताएं पढ़कर मैंने सीख पाई है।’

‘अपना मोर्चा’ हमेशा से सामयिक है’
हिंदी साहित्य से गहरा प्रेम रखनेवाले समर्थ अभिनेता मनोज बाजपेई के अनुसार,’बीते सालों में मैंने बहुत कुछ पढ़ा है, मगर मुझे काशीनाथ सिंह की किताब अपना मोर्चा ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। कहानी में जहां एक ओर भाषा की लड़ाई लड़ी जा रही है, वहीं दूसरी ओर किसान रोजी-रोटी का सवाल उठा रहे हैं। लेखक ने यह उपन्यास छात्र आंदोलन को ध्यान में रखकर लिखा था। यह 1972 में आया था, मगर इसमें उठाए गए सवाल आज भी सामयिक हैं। यही वजह है कि यह मुझे आज भी अपनी ओर खींचता है। मेरे पसंदीदा लेखक कई हैं, मगर यदि मैं प्रेमचंद का नाम न लूं, तो बात अधूरी रह जाएगी। उनके अलावा मुझे जयशंकर प्रसाद ने भी बहुत प्रभावित किया है। कवियों में मेरे प्रिय कवि रामधारी सिंह दिनकर रहे।’

‘रश्मिरथी आज भी साथ लेकर चलता हूं’
बॉलिवुड के दिग्गज अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अपनी हरदिल अजीज हिंदी किताब के जिक्र पर कहते हैं, ‘मैं अगर कहूं की कवि रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी आज भी साथ लेकर चलता हूं, तो आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इस किताब के कई भाग मुझे कंठस्थ हैं। इतना ज्यादा प्रभावित किया है, इसने मुझे। मैं रामधारी सिंह दिनकर जी का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा और रोचक बात देखिए। एक बार धर्मयुग के संपादक धर्मवीर भारती जी ने जब मुझे दिनकर जी से मिलवाया, तो उन्होंने कहा कि वे मेरे अभिनय के फैन हैं। उस वक्त मैं गदगद हो गया था। मेरे प्रिय लेखकों में दुष्यंत कुमार भी हैं। उनकी साये में धूप मेरे लिए विशेष है। दुष्यंत जी से जुड़ा एक किस्सा साझा करना चाहूंगा। एक बार उन्होंने अमिताभ बच्चन साहब को एक पत्र लिखा था और उसमें उन्होंने लिखा था कि उन्हें शशि कपूर और शतुघ्न सिन्हा का अभिनय सबसे ज्यादा भाता है। मेरे लिए यह बहुत गौरव की बात थी कि जिस कवि को मैं मन में बसाए हुए था, वह मेरा चाहनेवाला निकला।

बशीर बद्र, अकबर इलाहबादी ने अंदर तक छुआ
मसान, हरामखोर फेम श्वेता त्रिपाठी को बचपन से ही कहानियां पढ़ने और सुनने का बहुत शौक रहा है। वे कहती हैं, ‘इसमें जो सबसे पहली याद आती है, वो है अमर चित्रकथा और पंचतंत्र की कहानियां। ये वो कहानियां होती थीं, जिन्हें पढ़ने-सुनने का अपना मजा होता था। जब मैं अभिनेत्री बनी, तो स्टोरी टेलिंग मेरे लिए बहुत अहम हो गया, क्योंकि तब मैं दूसरों की कहानियों को साकार करने लगी। मसान फिल्म के दौरान मैंने कई शायरों को भी पढ़ा। जैसे बशीर बद्र, अकबर इलाहबादी और रूमी. कविता, गजल या शायरी एक चित्र की तरह होती है, जो आपकी मानसिक अवस्था को प्रतिबिंबित करती है।

कामतानाथ की संक्रमण का प्रभाव आज तक है
हालिया ओटीटी रिलीज खुदा हाफिज फेम आहना कुमरा कहती हैं, ‘सबसे पहले मैं आपको मुंशी कामतानाथ की संक्रमण के बारे में बताना चाहूंगी। इस कहानी को वैसे तो मैंने स्कूल के दौरान पढ़ा था। लेकिन कई साल पहले इसे नाटक के रूप में देखा था, जिसमें नसीर सर (नसीरुद्दीन शाह) ने स्टेज पर परफॉर्म किया था। मोटली थिएटर ग्रुप जो नसीर साहब चलाते हैं, उसके तहत उन्होंने यह यह प्ले पृथ्वी थिएटर में किया था। जब मैंने किताब पढ़ी थी, तब उसका इतना प्रभाव नहीं पड़ा था मुझ, मगर जब मैंने स्टेज पर इसका रूपांतरित वर्जन देखा, तो मैं ठगी रह गई। मुझ पर बहुत गहरा असर हुआ था इसका। कई दिनों तक मैं इसी कहानी के बारे में सोचती रही। पसंदीदा लेखकों में अमृता प्रीतम, मुंशी प्रेमचंद, यशपाल, भवानी प्रसाद मिश्र को बहुत पढ़ा है मैंने। भवानी प्रसाद मिश्र की सुख का दुख मेरी प्रिय कविता है। भीष्म साहनी और कृष्णा सोबती भी मुझे पसंद हैं। मैंने इनकी किताबें स्कूल में पढ़ी थीं, तो मुझे उस वक्त ही हिंदी लेखकों का इलहाम हो गया था। मैं अब बहुत जल्द अमृता प्रीतम की एक कहानी पढूंगी। शतरंज के खिलाड़ी, गबन, निर्मला जैसी कहानियां भी मुझे अपनी ओर आकर्षित करती रहती हैं।’

आचार्य चतुरसेन के उपन्यास पर शो प्रड्यूस करूंगी
भाबी जी घर पे हैं फेम शुभांगी अत्रे हिंदी साहित्य प्रेमी रही हैं। वे कहती हैं, ‘वैसे तो मैंने आचार्य चतुरसेन शास्त्री, मुंशी प्रेमचंद और अमृतलाल नागर को पढ़ा है, मगर मेरा प्रिय उपन्यास है अमृत लाल नागर का सुहाग के नुपूर। अगर मैं कभी प्रड्यूसर बनी, तो इस उपन्यास पर जरूर कुछ बनाउंगी। जब मैं कॉलेज में थी, तब मैंने इसे पढ़ा था। मैं खुद एक डांसर हूं। मैं सोचती हूं कि जो हमारा हिंदी साहित्य बहुमूल्य और शानदार है। उसमें बहुत कुछ है पढ़ने के लिए। उसके साथ ही यह उतना ही खूबसूरत, सुंदर और विशाल भी है। हमें अपने साहित्य पर भी शोज बनाने चाहिए। शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, मुंशी प्रेमचंद, आचार्य चतुरसेन शास्त्री,अमृतलाल नागर, शिवानी, शुभद्रा कुमारी चौहान जैसे मेरे पसंदीदा लेखकों की तो बाकायदा एक लंबी सूची है। लेकिन सबकी कुछ-न-कुछ कृति है, जो लेख उन्होंने लिखा है, सब में कुछ खासियत है। किसी की भाषाशैली बहुत अच्छी है। किसी ने अपने किरदारों को बड़ी खूबी के साथ पेश किया है। हिंदी साहित्य को अब बहुत कम लोग पढ़ते हैं। पर आज की युवा पीढ़ी के लिए इसका विश्लेषण करना और समझना बहुत जरूरी है।

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