बैठक के बाद अलागिरी ने कहा, ‘विचारों में अंतर होने पर फैसला किया गया कि टीएनसीसी और डीएमके प्रमुख इन्हें सुलझाएंगे और दोनों पार्टियों के नेताओं को अपने विचार सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं है।’ दोनों पार्टियों के मदभेद नहीं होने के दावे को दोहराते हुए अलागिरी ने कहा कि दोनों पार्टियां एकजुट हैं और आगे भी रहेंगी।
उन्होंने डीएमके नेता दुरईमुरुगन की इस टिप्पणी को ज्यादा तवज्जो नहीं दी कि कांग्रेस के पास वोट बैंक नहीं है। उन्होंने कहा कि नेता ने अपने विचार रखे थे और इसमें कोई समस्या नहीं है। अलागिरी ने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी का डीएमके के साथ गठबंधन वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद भी जारी रहेगा। कांग्रेस नेताओं से विचार विमर्श के बाद स्टालिन ने दोनों पार्टियों के नेताओं से यह स्थिति दोबारा पैदा नहीं होने देने के लिए अपने विचार सार्वजनिक करने से बचने को कहा।
अलागिरी पर आरोप लगाते हुए स्टालिन ने कहा कि सीट बंटवारे जैसे मुद्दे का हल बातचीत से होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस के सार्वजनिक बयान से दोनों तरफ से अवांछित बयान दिए गए। उन्होंने कहा की जुबानी जंग से राजनीतिक विरोधियों और मीडिया को मौका मिलता है।
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