Bhai Dooj 2021 : दिवाली के दूसरे दिन यानी की आज भैया दूजा पर्व मनाया जाता है। धनतेरस से शुरू हुए 5 दिवसीय महापर्व के साथ आज खत्म होगा। हिंदू धर्म के अनुसार भाई-बहन का पवित्र रिश्ते का यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितिया को मनाया जाता है। आज के दिन सभी बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाती है और भगवान से उनके लिए लंबी उम्र मांगती है।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास की द्वितीया तिथि 6 नवंबर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। भाई दूज की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 22 मिनट तक मुहूर्त भाइयों को टीका करने के लिए सबसे शुभ है।
भाई दूज के दिन बहनें इस तरह करें पूजा
भाईदूज के दिन सभी बहनें सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद पूजा की थाली तैयार करें। इस थाली में रोली, चावल, मिठाई, नारियल, घी का दीया, सिर ढकने के लिए रूमाल आदि रखें | इसके साथ ही घर के आंगन में आटे या चावल से एक चौकोर आकृति बनाएं और गोबर से बिल्कुल छोटे-छोटे उपले बनाकर उसके चारों कोनों पर रखें और पास ही में पूजा की थाली भी रख लें। अब उस आकृति के पास भाई को आसन पर बिठा दें और भाई से कहें कि वो अपने सिर को रूमाल से ढक ले। अब दीपक जलाएं और भाई दूज की कथा सुनें। फिर भाई के माथे पर रोली, चावल का टीका लगाएं और उसे मिठाई खिलाएं। साथ ही भाई को नारियल दें। इसके बाद भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप जरूर दें। इससे भाई-बहन के बीच प्यार और सम्मान बढ़ता है।
भाई दूज का महत्व
ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से भी इस दिन का बहुत महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक हर रिश्ते का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। रिश्तों में बहन का सम्बन्ध बुध ग्रह से है। इसलिए बुध सम्बन्धी उपद्रवों से बचाव के लिये बहन की शुभकामनाएं आपके जीवन के हित के लिये बेहद कारगर हैं। बुध का सम्बन्ध कैलकुलेटिव एप्टीट्यूड, व्यावसायिक कुशलता और वाणी आदि से होता है। अगर आपका बुध अच्छा हो तो, ये सारी चीज़ें अच्छी हो जाती हैं। बहन बुध है तो ज्योतिष शास्त्र में भाई को मंगल माना जाता है और मंगल ऊष्मा का प्रतीक है। जीवन में ऊष्मा बरकरार रहना बहुत जरूरी है। ऊष्मा के बगैर जीवन निरर्थक है। इसलिए भइया दूज के इस त्योहार का बहुत महत्व है।