उज्जैन।Ujjain Vedic Clock: विश्व की पहली वैदिक घड़ी रविवार को ‘काल गणना के केंद्र’ माने गए उज्जैन में स्थापित कर दी गई। घड़ी, 30 मुहूर्त के साथ वैदिक, भारतीय मानक समय और ग्रीनविच मिन टाइम और समय बता रही है और इसके बैकग्राउंड में हर घंटे देश-दुनिया के खूबसूरत पर्यटन स्थलों की तस्वीर बदल रही है। घड़ी में पल-पल शहर का तापमान, हवा की गति, मौसम में नमी, हिंदू कैलेंडर अनुरूप माह का नाम भी दर्शाया जा रहा है।
"भारतवर्ष का प्राचीन गौरव पुन: हो रहा स्थापित"
बाबा महाकाल की नगरी एवं काल गणना का केंद्र रहे उज्जैन में स्थापित होने जा रही है विश्व की पहली "विक्रमादित्य वैदिक घड़ी"@PMOIndia@DrMohanYadav51@MinOfCultureGoI@minculturemp@MPTourism#Vikramotsav2024 pic.twitter.com/iRBtBjd07a
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) February 25, 2024
Ujjain Vedic Clock: घड़ी का लोकार्पण 1 मार्च को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव कालिदास संस्कृत अकादमी में रखे दो दिवसीय विक्रम व्यापार मेला, 40 दिवसीय विक्रमोत्सव और व्यापार मेले के उद्घाटन समारोह में करेंगे। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि घड़ी की विशेषता है कि लोग इसके बैकग्राउंड में हर घंटे देश-विदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों की तस्वीर देख पाएंगे।
एक वक्त में द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, नवग्रह, राशि चक्र दिखाई देंगे तो दूसरे वक्त देश-दुनिया में होने वाले सबसे खूबसूरत सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण के नजारे। एप डाउनलोड कर स्मार्ट वाच और मोबाइल में भी घड़ी के साथ इन नजारों को देखा जा सकेगा। तस्वीरों के लिए नेशनल एयरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा से भी मदद ली गई है। वैदिक घड़ी के एप्लीकेशन में विक्रम पंचांग भी समाहित है, जो सूर्योदय से सूर्यास्त की जानकारी के साथ ग्रह, योग, भद्रा, चंद्र स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा रहा है।
जानिए वैदिक समय को
Ujjain Vedic Clock: यदि भारतीय मानक समय शाम काे 7.40 बजे का है तो वैदिक घड़ी में समय 15 बजकर 17 मिनट 9 सेकंड प्रदर्शित होगा। ग्रीनविच मिन टाइम 1.35 बजे प्रदर्शित होगा।
यह भी जानिए
Ujjain Vedic Clock: वैदिक घड़ी स्थापना के लिए क्लाक टावर बनाए जाने को भूमि पूजन 6 नवंबर 2022 को उच्च शिक्षा मंत्री रहते डा. मोहन यादव (अब मुख्यमंत्री) ने किया था। कायदे से टावर का निर्माण होकर वैदिक घड़ी की स्थापना घोषणा अनुरूप पिछले वर्ष गुड़ी पड़वा, 22 मार्च 2023 को हो जाना थी, मगर टावर और घड़ी का निर्माण न होने से समय रहते नहीं हो सकी। टावर के शिखर टेलीस्कोप भी लगवाया जाएगा, ताकि रात में आकाश में होने वाली खगोलीय घटनाओं का नजारा देखा जा सके। आने वाले समय में जीवाजी वेधशाला परिसर शोध अध्ययन केंद्र के रूप में भी पहचान बनाएगा। वैदिक घड़ी के टावर के कक्षों का उपयोग किस काम में होगा, ये अभी तय नहीं हुआ है।
जहां लगी वैदिक घड़ी, उस स्थान का इतिहास है 300 वर्ष पुराना
Ujjain Vedic Clock: वैदिक घड़ी, जीवाजी वेधशाला परिसर में लगी है। इसे जंतर-मंतर भी कहा जाता है। इसका इतिहास 300 साल पुराना है। जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डा. राजेन्द्रप्रकाश गुप्त के अनुसार मालवा के गवर्नर रहे महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने सन् 1719 में उज्जैन में जीवाजी वेधशाला का निर्माण कराया था। इसके बाद दिल्ली, जयपुर, मथुरा और वाराणसी में भी वेधशाला का निर्माण कराया था।
Ujjain Vedic Clock:
Ujjain Vedic Clock: सवाई जयसिंह ने कालगणना के लिए सभी वेधशालाओं में सम्राट यंत्र, नाड़ी विलय यंत्र, भित्ति यंत्र, दिगंश यंत्र का निर्माण कराया था। चूंकि उज्जैन से कर्क रेखा भी गुजरती है, इसलिए सवाई जयसिंह ने यहां स्वयं आकर अध्ययन किया था। इसके बाद करीब 200 वर्षों तक उज्जैन की वेधशाला उपेक्षित रही। 1923 में इसका पुनरुद्धार हुआ था।